नवरात्र पर इस बार 110 वर्षों बन रहा है महासंयोग, पूरे 9 दिनों मातारानी की पूजा-अर्चना

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ABC NEWS: हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि मनाई जाती हैं. शक्ति की पूजा का महापर्व नवरात्र चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हो रहा है और इसी दिन से नव संवत्सर की भी शुरुआत हो जाती है. इस बार नवरात्र में चार योग का विशेष संयोग बन रहा है. पूरे 9 दिनों के नवरात्र के साथ माता का आगमन नौका और प्रस्थान डोली पर होगा जो बहुत शुभकारी बताया जा रहा है.

चैत्र नवरात्र शुभ मुहूर्त
इस बार नवरात्र पर बनने वाले विशेष महासंयोग के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक मालवीय ने बताया कि यह बेहद खास है. चैत्र मास की नवरात्र इस बार बुधवार, 22 मार्च को शुरू हो रही है जो 30 मार्च तक रहेगी. जो संपूर्ण 9 दिवसीय नवरात्र है. इसमें तिथियों की घटबढ़ नहीं है. उन्होंने आगे बताया कि प्रतिपदा तिथि 21 मार्च रात में 11 बजकर 4 मिनट पर लग जाएगी. इसलिए 22 मार्च को सूर्योदय के साथ नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होगी.

ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक मालवीयउन्होंने आगे बताया कि इस वर्ष मां का आगमन नौका पर है, जिसे सुख-समृद्धि कारक कहा जाता है. पूरे 9 दिनों के नवरात्र में मां के 9 स्वरूपों की पूजा होगी. उन्होंने नवरात्र के संयोग के बारे में बताया कि चार ग्रहों का परिवर्तन नवरात्र पर देखने को मिलेगा. यह संयोग 110 वर्षों के बाद मिल रहा है. इस बार नव संवत्सर लग रहा है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने पृथ्वी की रचना की थी. इसलिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. इस वर्ष के राजा बुद्ध और मंत्री शुक्र ग्रह होंगे. जिसके चलते शिक्षा क्षेत्र में बहुत क्रांति के अवसर मिलेंगे और महिलाओं का भी विशेष उत्थान इस वर्ष दिखाई पड़ेगा.

चैत्र नवरात्र पूजन विधि 
कलश स्थापना की विधि शुरू करने से पहले सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें. उसके बाद एक साफ स्थान पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता रानी की प्रतिमा स्थापित करें. इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें. एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें. इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें. कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें.

कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें. एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें. इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें. इसके बाद दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें. नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है.

मां दुर्गा के किस स्वरूप की किस दिन होगी पूजा? 

1- नवरात्र पहला दिन 22 मार्च 2023 दिन बुधवार: मां शैलपुत्री पूजा (घटस्थापना)

2- नवरात्र दूसरा दिन 23 मार्च 2023 दिन गुरुवार: मां ब्रह्मचारिणी पूजा

3- नवरात्र तीसरा दिन 24 मार्च 2023 दिन शुक्रवार: मां चंद्रघंटा पूजा

4- नवरात्र चौथा दिन 25 मार्च 2023 दिन शनिवार: मां कुष्मांडा पूजा

5- नवरात्र पांचवां दिन 26 मार्च 2023 दिन रविवार: मां स्कंदमाता पूजा

6- नवरात्र छठवां दिन 27 मार्च 2023 दिन सोमवार: मां कात्यायनी पूजा

7- नवरात्र सातवं दिन 28 मार्च 2023 दिन मंगलवार: मां कालरात्रि पूजा

8- नवरात्र आठवां दिन 29 मार्च 2023 दिन बुधवार: मां महागौरी

9- नवरात्र 9वां दिन 30 मार्च 2023 दिन गुरुवार: मां सिद्धिदात्री

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