जब शिव जी के क्रोध से कामदेव हुए भस्म, त्रयोदशी पर पूजा से होगा यह लाभ

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ABC NEWS: आज 05 दिसंबर दिन सोमवार को अनंग त्रयोदशी व्रत है. कामदेव को अनंग भी कहते हैं. मार्गशीर्ष या अगहन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को अनंग त्रयोदशी मनाई जाती है. इस दिन प्रदोष व्रत भी होता है. कहा जाता है कि भगवान शिव के क्रोध के परिणाम स्वरूप इस तिथि को ही कामदेव भस्म हो गए थे. हालांकि बाद ने ​महादेव ने उनको फिर से शरीर पाने का आशीर्वाद दिया. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ कामदेव और रति की पूजा करने से प्रेम संबंध मजबूत होते हैं. अनंग त्रयोदशी के अवसर पर काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं अनंग त्रयोदशी व्रत कथा के बारे में.

अनंग त्रयोदशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब माता सती ने आत्मदाह कर लिया तो उसके बाद से महादेव समाधि लगाकर के ध्यान में मग्न थे. इधर पूरे संसार में तारकासुर के अत्याचारों से हाहाकार मचा हुआ था. उसने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था. देवता चिंति​त ​थे. एक दिन सभी देवता ब्रह्मा जी के पास गए और तारकासुर से मुक्ति का उपाय पूछा.

ब्रह्मा जी ने कहा कि तारकासुर के अत्याचारों से भगवान शिव ही रक्षा कर सकते हैं क्योंकि शिव पुत्र के हाथों ही तारकासुर का वध होगा. लेकिन समस्या यह थी कि शिव जी ध्यान में लीन थे और उनके ध्यान को तोड़ने का साहस किसी भी देव में नहीं था. समस्या विकट थी. जब वे ध्यान से बाहर आएंगे, तभी तारकासुर का अंत होगा.

इस संकट की कठिन घड़ी में कामदेव ने शिव जी का ध्यान भंग करने की बात स्वीकार कर ली. कामदेव अपने पत्नी रति के साथ शिवालय पर पहुंच गए और वे दोनों भगवान शिव का ध्यान भंग करने का प्रयास करने लगे. अंत में कामदेव ने भगवान शिव पर पुष्प बाण से प्रहार किया ताकि उनके अंदर प्रेम उत्पन्न हो और वे वियोग को छोड़कर ध्यान से बाहर आएं.

कामदेव ने जैसा सोचा था, वैसा नहीं हुआ. ध्यान टूटने से शिव जी अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया. पति को भस्म रूप में देखकर रति बिलखने लगी. उसने शिव जी से क्षमा मांगी और कामदेव को वास्तविक स्वरूप प्रदान करने की प्रार्थना की.

भगवान शिव ने कहा कि कामदेव का शरीर जलकर भस्म हो गया है, वे अब अनंग हो गए हैं यानि वे बिना अंगों वाले हो गए हैं. वे जीवित रहेंगे, लेकिन वे सभी के हृदय में काम रूप में ​मौजूद रहेंगे. द्वापर युग में वे भगवान शिव के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लेंगे और फिर से उनको शरीर प्राप्त हो जाएगा.

शिव जी ने रति और कामदेव को आशीर्वाद दिया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अनंग त्रयोदशी के दिन जो कामदेव और रति की पूजा करता है, उसका प्रेम संबंध प्रगाढ़ होता है.

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