केदारनाथ-यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद, बदरीनाथ में इस दिन तक होंगे दर्शन देखें VIDEO

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ABC NEWS: उत्तराखंड चार धाम यात्रा 2023 पर अपडेट सामने आया है. भैया दूज के अवसर पर केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए आज बुधवार को बंद कर दिए गए हैं. बदरीनाथ धाम के कपाट 18 नवंबर को बंद होंगे. विदित हो कि गंगोत्री धाम के कपाट 14 नवंबर मंगलवार को बंद कर दिए गए.

शीतलहर तथा बर्फ के बीच श्री केदारनाथ धाम  के कपाट आज भैयादूज  बुधवार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीया, वृश्चिक राशि, ज्येष्ठा नक्षत्र के शुभ अवसर पर प्रात: साढ़े आठ बजे विधि- विधान से शीतकाल हेतु बंद हो गये. आजकल श्री केदारनाथ क्षेत्र बर्फ की चादर ओढ़े है। आज कपाट बंद के के समय मौसम साफ रहा.

कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिर को विशेष रूप से फूलों से सजाया गया था और ढाई हजार से अधिक तीर्थयात्री  कपाट बंद होने के गवाह बने इस दौरान सेना के भक्तिमय धुनों के साथ जय श्री केदार तथा ऊं नम् शिवाय के उदघोष से केदारनाथ गूंज उठा. कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली हजारों तीर्थयात्रियों के साथ  सेना के बैंड बाजों के साथ पैदल प्रथम पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान हुई.

श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति ( बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय  मंगलवार को कपाट बंद की तैयारियों हेतु श्री केदारनाथ पहुंच गये थे.  आज  इस अवसर पर  उनके साथ असम के  मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व शर्मा की धर्मपत्नी  मीडिया दिग्गज रिनिकी भुयान शर्मा  तथा परिजन भी कपाट बंद होने के अवसर पर मौजूद रहे।.यह सभी अतिथि मंगलवार को ही केदारनाथ धाम पहुंच गये थे.

कपाट बंद होने के अवसर पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा तथा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में श्री केदारनाथ यात्रा का सफलतापूर्वक समापन हो रहा है इस यात्रावर्ष साढ़े उन्नीस लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किये। उन्होंने यात्रा से जुड़े सभी संस्थानों को भी बधाई दी.

बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने बताया कि  केदारनाथ धाम में कपाट खुलने की तिथि से मंगलवार 14 नवंबर रात्रि तक 1957850 (उन्नीस लाख सत्तावन हजार आठ सौ पचास ) तीर्थयात्रियों ने दर्शन किये। आज ब्रह्ममुहुर्त में श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट खुल गये.

मंदिर में नित्य नियम पूजा- अर्चना तथा दर्शन हुए तत्पश्चात कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत स्वयंभू शिवलिंग से श्रृंगार अलग कर केदारनाथ रावल भीमाशंकर लिंग की उपस्थिति में पुजारी शिवलिंग ने स्थानीय शुष्क पुष्पों, ब्रह्म कमल,  कुमजा,राख से समाधि रूप दिया गया. इस दौरान श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय पूरे समय मौजूद रहे.

साथ ही जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन के अधिकारीगण, मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह, तीर्थपुरोहित समाज के पदाधिकारी मौजूद रहे। ठीक साढ़े छ: बजे मंदिर गर्भ गृह में समाधि पूजा समापन की गयी तत्पश्चात मंदिर के अंदर सभामंडप में स्थित छोटे मंदिरों को भी बंद किया गया इसके बाद ठीक साढ़े आठ बजे केदारनाथ मंदिर के दक्षिण द्वार को बंद कर दिया गया तथा उसके तुरंत बाद पूरब द्वार को भी  बंद किया गया।

इस अवसर पर भारतीय सेना, आईटीबीपी तथा दानीदाताओं ने तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे आयोजित किये थे. श्री केदारनाथ भगवान की पंचमुखी डोली पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी. 16 नवंबर को  पंचमुखी डोली  गुप्तकाशी पहुंचेगी. 17 नवंबर शुक्रवार को भगवान केदारनाथ जी की पंचमुखी मूर्ति शीतकालीन पूजा स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी.इसके पश्चात शीतकालीन पूजास्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में श्री केदारनाथ भगवान की शीतकालीन पूजा शुरू हो जायेगी.

इस अवसर पर मंदिर समिति सदस्य श्रीनिवास पोस्ती,बीकेटीसी मुख्यकार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह, तहसीलदार दीवान सिंह राणा कार्याधिकारी आरसी तिवारी, केदार सभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी, थाना प्रभारी मंजुल रावत प्रदीप सेमवाल, अरविंद शुक्ला, देवानंद गैरोला उम्मेद नेगी, कुलदीप धर्म्वाण, ललित त्रिवेदी सहित जनप्रतिनिधि तीर्थपुरोहित एवं हजारों तीर्थयात्री मौजूद रहे.

भैया दूज के पर्व पर यमुनोत्री धाम के कपाट बंद
भैया दूज के पावन पर्व पर बुधवार को सुबह 11:57 बजे विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए जिसके बाद शीतकाल में छह माह तक मां यमुना के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास खुशीमठ (खरसाली) में होंगे. श्री पांच पंडा समिति यमुनोत्री धाम के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल ने बताया है कि भैया दूज के पावन पर्व पर बुधवार  सुबह मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खरसाली से शनिदेव की डोली यमुनोत्री धाम पहुंची.

पूजा अर्चना एवं हवन यज्ञ किया के बाद 11 बजकर 57 मिनट पर अभिजीत मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए यमुनोत्री धाम के कपाट बंद कर दिए जायेंगे. कपाट बंद करने के बाद मां यमुना की डोली यमुनोत्री धाम से शनि देव की डोली की अगुवाई में अपने शीतकालीन प्रवास खुशीमठ के लिए प्रस्थान करेगी.

यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकाल में छह माह तक मां यमुना की पूजा अर्चना उनके शीतकालीन प्रवास खुशीमठ में होगी तथा यहीं पर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु शीतकाल में छह माह तक मां यमुना के दर्शन कर सकेंगे जिसके बाद अगले साल पुनः अक्षय तृतीया के पर्व पर ग्रीष्म काल के लिए यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे.

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