ABC News: ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार रात भीषण रेल हादसा हो गया. हादसे की शिकार हुई ट्रेनों में एक मालगाड़ी के अलावा हावड़ा एक्सप्रेस और कोरोमंडल एक्सप्रेस शामिल थी. हादसे में 275 लोगों की जान चली गई और करीब एक हजार लोग घायल हुए. इस हादसे के बीच सबसे ज्यादा चर्चा रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की हो रही है. एक ओर जहां विपक्ष घटना की जिम्मेदारी लेते हुए उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है, वहीं दूसरी ओर उनके समर्थक इस बात की तारीफ कर रहे हैं कि रेल मंत्री वैष्णव ट्रेन हादसे के बाद से ही घटना वाली जगह पर मौजूद हैं.
अश्विनी उन नेताओं में शुमार हैं, जो पहले आईएएस अधिकारी थे, लेकिन राजनीति में आने की उनकी कहानी थोड़ी-सी अलग है. दरअसल, आईएएस के बाद वह पहले उद्यमी बने. उसके बाद राज्यसभा सांसद और 2021 में कैबिनेट मंत्री बना दिए गए. इस रिपोर्ट में हम आपको चर्चा में चल रहे रेल मंत्री की जिंदगी और उनके सफरनामे के बारे में बता रहे हैं. अश्विनी वैष्णव, वर्तमान में केंद्र की मोदी सरकार में रेल और सूचना प्रौद्योगिकी एवं दूरसंचार मंत्री हैं. वैष्णव का जन्म राजस्थान में साल 1970 में हुआ. वैष्णव ने 1991 में एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज (JNVU) जोधपुर से स्नातक किया और इलेक्ट्रॉनिक और संचार इंजीनियरिंग में स्वर्ण पदक हासिल किया. उनके पास आईआईटी कानपुर से औद्योगिक प्रबंधन और इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री है. उन्होंने 1994 में ऑल इण्डिया 27 रैंक के साथ IAS की परीक्षा क्रैक की. वह 2008 में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से MBA करने के लिए अमेरिका गए. 1994 में, वैष्णव ओडिशा कैडर में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए. इसके बाद उन्होंने बालासोर और कटक जिलों के जिला कलेक्टर के रूप में सेवाएं दीं.
यह संयोग ही है जिस जिले में बतौर कलेक्टर वैष्णव ने काम किया था आज उसी बालासोर में एक भीषण ट्रेन हादसे की वजह से रेल मंत्री होने के नाते ग्राउंड जीरो पर मौजूद हैं. 1999 में सुपर साइक्लोन के दौरान वह अपने सटीक फैसलों की वजह से सुर्खियों में आ गए थे. दरअसल, उस वक्त अश्विनी युवा आईएएस थे, जिन्होंने अमेरिकी नौसेना की वेबसाइट के माध्यम से तूफान पर नजर रखी और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को वक्त पर जानकारी मुहैया कराते रहे. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में अश्विनी वैष्णव ने बतौर उपसचिव काम किया. उस दौरान उन्होंने पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल को तैयार करने में विशेष योगदान दिया था. वहीं, जब वाजपेयी ने 2004 आम चुनाव में हार के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय छोड़ा तो अश्विनी वैष्णव ने उनके निजी सचिव की भूमिका निभाई. अश्विनी वैष्णव ने सिविल सर्विस से ऐच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी. इसके बाद उन्होंने दक्षिण एशिया में जीई ट्रांसपोर्टेशन कंपनी में बतौर प्रबंधक निदेशक अपनी सेवाएं दीं. साथ ही, सीमेंस कंपनी के अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर स्ट्रैटजी विभाग के प्रमुख की भूमिका भी निभाई.
2017 के दौरान उन्होंने अन्य उद्यमियों के साथ मिलकर एक स्टार्टअप शुरू किया. इसके तहत ओडिशा में आयरन ऑक्साइड पेलेट बनाने वाली एक कंपनी का अधिग्रहण किया.1994 बैच के साथी आईएएस अफसर बताते हैं कि अश्विनी वैष्णव बेहद शानदार अधिकारी थे, जो हमेशा जमीन से जुड़े रहे. उनके साथी और ओडिशा आवास एवं शहरी विकास सचिव जी मथी वथानन बताते हैं कि अश्विनी बेहद सतर्क रहने वाले व्यक्ति हैं. वह हर वक्त जोश में नजर आते हैं और अपने साथियों को भी उत्साहित करते रहते हैं. करीब चार साल पहले राज्यसभा में अश्विनी वैष्णव की एंट्री बेहद नाटकीय अंदाज में हुई थी, जिससे उनकी अहमियत का पता चलता है. दरअसल, उस दौरान मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने उन्हें बीजू जनता दल का प्रत्याशी घोषित किया, लेकिन बाद में भाजपा ने जून 2019 के दौरान उच्च सदन के उम्मीदवार के रूप में उनका समर्थन कर दिया. उस वक्त राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी अपने एक सदस्य को उच्च सदन भेज सकती थी. ऐसे में बीजद ने राज्यसभा की सीट अश्विनी वैष्णव के नाम कर दी. इसी दौरान वह भाजपा सदस्य हो गए. सात जुलाई 2021 को केंद्र की मोदी सरकार में 15 नए कैबिनेट मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट विस्तार में अश्विनी वैष्णव को रेल और सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी. उन्होंने 8 जुलाई, 2021 को कार्यभार संभाला.