कोरोना से भी ख़तरनाक बताया जा रहा है मारबर्ग वायरस, WHO ने बताए इसके लक्षण

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ABC News: विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने इक्वेटोरियल गिनी में मारबर्ग वायरस रोग के पहले प्रकोप की पुष्टि करते हुए कहा कि देश में कम से कम नौ मौतों के लिए इबोला से संबंधित यह वायरस ज़िम्मेदार है. हेल्थ एजेंसी ने महामारी की पुष्टि तब की, जब इक्वेटोरियल गिनी से मिले नमूनों को सेनेगल की लैब में भेजा गया. WHO ने यह भी कहा कि इस वक्त इस वायरस की वजह से 9 मौतें और 16 संदिग्ध मामले हैं, जिनमें बुखार, कमज़ोरी, दस्त और उल्टी जैसे लक्षण दिख रहे हैं.

मारबर्ग एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है. अफ्रीका के लिए WHO के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. मात्शिदिसो मोएती ने कहा, “बीमारी की पुष्टि करने में इक्वेटोरियल गिनी के अधिकारियों द्वारा तेजी से और निर्णायक कार्रवाई के लिए धन्यवाद, आपातकालीन प्रतिक्रिया में तेज़ी लाई जा रही है, ताकि हम जान बचा सकें और वायरस को जल्द से जल्द रोक सकें.” मारबर्ग वायरस बीमारी एक अत्यधिक विषाणुजनित रोग है, जिसमें हेमरैजिक बुखार हो जाता है. इस बीमारी की मृत्यू दर 88 फीसदी है. यह बीमारी इबोला वायरस के परिवार से ही आती है. मारबर्ग वायरस की वजह से होनी वाली बीमारी अचानक शुरू हो जाती है, जिसमें तेज़ बुखार और भयानक सिर दर्द के मरीज़ को परेशान कर देते हैं. कई मरीज़ 7 दिनों के अंदर हेमरैजिक बुखार के गंभीर लक्षणों को महसूस करने लगते हैं. इबोला की तरह मारबर्ग चमगादड़ों से आता है और मनुष्यों में सीधे संपर्क के ज़रिए फैलता है. यानी जिस तरह कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति, सतेह और सामान के ज़रिए फैल सकता है, ठीक वैसे ही मारबर्ग रोग भी फैलता है. इस दुर्लभ वायरस की पहली बार पहचान साल 1967 में की गई थी. इस वक्त इस वायरस का इलाज करने के लिए किसी भी तरह की वैक्सीन या एंटी-वायरल ट्रीटमेंट नहीं है. हालांकि, शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ लक्षणों का इलाज करने से सेहत में सुधार देखा जाता है.

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