कानपुर रूरा अग्निकांड: ‘8-10 लोग कह रहे थे सबको जला दो’, घर के मुखिया ने बयां किया दर्द

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ABC NEWS: कानपुर देहात में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान हुई मां-बेटी की मौत से उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है. समाजवादी पार्टी ने इस घटना को हत्या करार दिया है. उधर, घर के मुखिया कृष्ण गोपाल दीक्षित की सामने आई हृदय विदारक तस्वीर ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है. झोपड़ी में लगी आग से जल रही पत्नी और बेटी को बचाने में विफल घर का मुखिया कराहता नजर आया. बेबसी और लाचारी का भाव और बेटी-पत्नी को न बचा पाने की टीस उनके चेहरे से साफ झलकरही थी. घटना में बुजुर्ग खुद भी झुलस गए.

घटना जिले के रूरा थाना इलाके के मड़ौली गांव की है. गांव में अवैध अतिक्रमण हटाने गए तहसील प्रशासन की कृष्ण गोपाल दीक्षित के परिजनों से नोकझोंक हो गई. झोपड़ी में जब कृष्ण गोपाल की पत्नी और बेटी उसके अंदर थीं, तभी प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया. और जैसे ही बुलडोजर झोपड़ी को तहस;नहस करने लगा, वैसे ही वहां अचानक आग भड़क उठी. आग ने विकराल रूप ले लिया. इसमें कृष्ण गोपाल की पत्नी प्रमिला दीक्षित और उनकी 23 साल की बेटी नेहा दीक्षित की जिंदा जलकर मौत हो गई. धधकती आग को बुझाने में कृष्ण गोपाल बुरी तरह से झुलस गए और बेटा शिवम भी मामूली रूप से जल गया.

कृष्ण गोपाल दीक्षित ने कहा, उनके घर रूरा थाने के 20 पुलिसवालों समेत एसडीएम, कानूनगो, तहसीलदार और लेखपाल आ धमके. हमने अनुरोध किया कि हमारे पास जमीन की व्यवस्था नहीं है. हमारा मामला कोर्ट में चल रहा है. 20 फरवरी की तारीख भी लगी है. यह सुनकर प्रशासनिक अधिकारी गाली-गलौज करने लगे और कहने लगे कि यह सब कुछ नहीं है. इसके बाद बुलडोजर से सब गिरा दिया. मंदिर भी गिरा दिया. कटिया मशीन गिरा दी. हमारे बंगला (झोपड़ी) गिराने लगे. उसके अंदर हमारी बिटिया और पत्नी थी.

पीड़ित घर का मुखिया कृष्ण गोपाल दीक्षित

गांव के लोगों पर आरोप 
आरोप यह भी है कि गांव के 8-10 लोग भी मौके पर थे. वह कह रहे थे कि सबको जला दो. उन लोगों ने आग लगा दी और भाग गए. जिसमें मेरी बिटिया नेहा दीक्षित और पत्नी प्रमिला दीक्षित खत्म हो गई.

15 जनवरी को भी गिराया था निर्माण 
कृष्ण गोपाल दीक्षित का यह भी कहना है कि बीती 15 जनवरी को भी उनका पक्का निर्माण गिराया था. तब उनका पूरा परिवार अपने जानवरों सहित जिलाधिकारी नेहा जैन के कार्यालय पर रात को गए थे. तब किसी ने कुछ नहीं कहा. एडिशनल एसपी मारने दौड़े थे और दबाव बना कर भगा दिया था. यह सब डीएम के इशारे पर हुआ है. हमारी यह जमीन 150 वर्ष पुरानी है.

5 करोड़ रुपए की मदद मांगी  
पीड़ित की मांग है कि सभी आरोपियों के ऊपर धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज हो और हमारे लड़कों को सरकारी नौकरी मिले. पांच बीघा के पट्टे की जमीन मिले और आर्थिक मदद के लिए 5 करोड़ रुपए की मांग की है.

गांव में पुलिस बल तैनात
घटना की जानकारी पर ग्रामीणों में आक्रोश पैदा हो गया और पुलिस को मौके से खदेड़ दिया. इस दौरान ग्रामीणों ने मौके पर खड़ी लेखपाल की गाड़ी को पलट दिया. गांव में तनाव को देखते हुए भारी पुलिस बल के साथ पीएसी भी तैनात कर दी गई है.

एसपी का बयान 
घटना की जानकारी पर मौके पर पहुंचे जिले के एसपी बीबीजीटीएस मूर्ति ने बताया कि एसडीएम के साथ रूरा थाने की फोर्स अवैध अतिक्रमण को हटाने पहुंची थी. उसी समय पीछे से एक महिला और उनकी बेटी झोपड़ी के अंदर चली गईं. और जैसी जानकारी मिली है कि यहां से उन दोनों की जलकर मौत हो गई है. देखें Video:-

घटना की जानकारी होने पर पहुंचे कानपुर कमिश्नर और एडीजी भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे. साथ ही गांव में पीएसी भी तैनात कर दी गई है ताकि किसी भी तरीके का कोई भी हंगामा न हो. अधिकारियों ने गांव में पहुंचकर ग्रामीणों को शांत कराया और परिजनों से बातचीत की और कार्रवाई का आश्वासन दिलाया.


प्रशासनिक अधिकारियों पर FIR दर्ज 
वहीं, करीब 6 घंटे हंगामे के बाद रूरा थाने में SDM ज्ञानेश्वर प्रसाद, रूरा SHO दिनेश कुमार गौतम, लेखपाल अशोक सिंह, JCB ड्राइवर दीपक, मड़ौली गांव के ही रहने वाले अशोक दीक्षित, अनिल दीक्षित, निर्मल दीक्षित, विशाल और 10 से 12 सहयोगी अज्ञात और 3 अन्य लेखपालों के साथ ही 12-15 महिला-पुरुष पुलिसवालों पर आईपीसी की धाराओं 302, 307,436,429,323,34  में परिजनों की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.

वहीं, कमिश्नर राजशेखर ने कहा कि घटना बहुत ही हृदय विदारक है. इस घटना के पीछे असल हकीकत क्या है? घटना क्यों और कैसे हुई? इसके पीछे कौन है? इसकी जांच करवाई जाएगी और जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कठोरतम प्रभावी कार्रवाई की जाएगी.

राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला बोलीं- मैं हिफाजत नहीं कर पाई 
उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला और अकबरपुर विधानसभा से विधायक अपने कार्यकर्ताओं के साथ मौके पर पहुंचीं. विधायक ने बताया कि एक महीना पहले भी यह परिवार हमारे पास आया था. तब हमने जिलाअधिकारी नेहा जैन से बात की थी. तब हमें नहीं पता था कि उल्टे उस परिवार पर ही कार्रवाई कर दी गई है और आज यह इतनी बड़ी घटना हो गई. अगर यह जानकारी पहले से होती तो शायद यह घटना न होती. मैं क्षेत्र की विधायक हूं. मेरे महिला कल्याण में रहने से क्या फायदा? जब मैं अपने क्षेत्र की ही महिला बेटियों की हिफाजत नहीं कर पा रही हूं. इस पूरी घटना पर बहुत ही दुख है. वहीं, प्रतिभा शुक्ला ने जिलाअधिकारी को निष्ठुर बताते हुए कहा कि मुझे नहीं पता था कि मैं जिसको मदद के लिए भेज रही हूं, उल्टा उसी पर कार्रवाई कर दी जाएगी. इस पूरे मामले में जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी. वह चाहे लेखपाल हो या फिर डीएम.

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