ABC News: बढ़ता हुआ तापमान फल और सब्जियों के आकार, स्वाद और उत्पादन पर असर डालेगा. गर्मी जल्द पड़ने से फल और सब्जियां जल्दी पक जाएंगी जिससे आकार छोटा होगा. फरवरी में बढ़ता तापमान परागण प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा है, जिससे उत्पादन भी कम होना तय है. चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के वैज्ञानिक फलों और सब्जियों की अधिक तापमान को सहने वाली प्रजातियों को विकसित करने की तैयारी कर रहे हैं.
सीएसए के उद्यान महाविद्यालय के प्रो. वीके त्रिपाठी ने बताया कि फरवरी में आम और नींबू वर्गीय फलों (संतरा, मौसमी आदि) के बीज परागण प्रक्रिया करते हैं. इस प्रक्रिया के लिए रात में 10 और दिन में 15 डिग्री सेल्सियस तापमान होना उपयुक्त है जबकि वर्तमान में दिन और रात दोनों का तापमान ज्यादा है. तापमान बढ़ने से पराग के कण सूख रहे हैं जिससे फूल गिर रहे हैं. उन्होंने बताया कि फूलों के गिरने की वजह से उत्पादन घटना तय है. यदि तापमान ऐसे ही बढ़ता रहा तो फल जल्दी पकेंगे, जिससे आकार का भी घटना तय है. तापमान के बचाव के लिए किसान हल्की सिंचाईं करते रहें. तापमान ऐसे ही बढ़ा तो रंग और स्वाद पर भी असर पड़ेगा. आम का मीठापन कम होगा और नींबू के रस में कमी आएगी. फरवरी महीने में बढ़ता हुआ तापमान सब्जियों के पौधों के जमाव को प्रभावित कर रहा है. सीएसए के संयुक्त निदेशक शोध और सब्जी वैज्ञानिक डॉ. राजीव ने बताया कि इस समय कद्दू वर्गीय सब्जी फसलों की बुआई का काम चल रहा है. पौधों के जमाव के लिए 20-30 डिग्री तापमान उपयुक्त है जबकि इस समय दिन का तापमान 32 डिग्री तक पहुंच रहा है. तापमान 35 पर पहुंच गया तो पौधों का मिट्टी में जमाव मुश्किल हो जाएगा. इससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया प्रभावित होगी तो उत्पादन घटेगा. सब्जी वैज्ञानिक डॉ. आईएन शुक्ला ने बताया कि गर्मी का असर पैदावार पर भी पड़ेगा. टमाटर में गूदा कम होगा, पत्ता गोभी के ऊपर के पत्ते सूखेंगे. कद्दू, लौकी, खीरा, ककड़ी, तरोई, खरबूजा और तरबूज समेत लता वर्गीय फसलों का आकार भी घटेगा. प्याज के कंद भी छोटे होेंगे.
किसान ऐसे करें बचाव
– खेत के किनारे शेड लगाएं.
– किनारों पर मक्के की फसल बोएं.
– सूक्ष्म पोषक तत्व जिंक, आयरन और बोरान का छिड़काव करें.
– तापमान को सहने वाली प्रजातियों को बोएं.