ABC News: नगर निगम में फर्जीवाड़ा का बड़ा मामला सामने आया है. यहां पर नगर स्वास्थ्य अधिकारी के फर्जी साइन बनाकर 3.68 लाख का भुगतान हो गया. मामले का खुलासा तब हुआ जब एक ठेकेदार ने महापौर के सामने भुगतान होने की बात कही. यह मामला सामने आने के बाद नगर निगम के स्वास्थ्य से लेकर वित्त विभाग में हड़कंप मच गया है. महापौर ने मामले में जांच के निर्देश देते हुए दोषी शख्स पर सख्त एक्शन लेने की बात कही है.
बताया जा रहा है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत घरेलू शौचालय बनाने के लिए ठेकेदार माजिदा शबनम को कार्य आवंटित हुआ था. इसमें चार हजार रूपए प्रति शौचालय के हिसाब से 80 शौचालय का निर्माण होना था. इन शौचालय का निर्माण वार्ड 53 सजारी में किया गया था. बताया जा रहा है कि उस समय इसका चार्ज नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजय संखवार के पास था जबकि वर्तमान में इसका चार्ज अपर नगर आयुक्त के पास है. इन्हीं शौचालय निर्मााण के भुगतान को लेकर ठेकेदार लगातार दौड़भाग कर रहा था. ठेकेदार ने मंगलवार को जब महापौर प्रमिला पांडेय से एक फाइल का भुगतान होने की बात कही, तो महापौर ने उस भुगतान वाली फाइल को तलब कर लिया. फाइल देखने पर पता चला कि नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजय कुमार के हस्ताक्षर के बाद भुगतान हो गया है, इस पर मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी को भी बुला लिया गया. मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी ने बताया कि उनका काम साइन देखकर पेमेंट करने का है, जबकि मौके पर आए नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने फाइल पर अपने हस्ताक्षर होने से इनकार किया. उन्होंने महापौर से कहा कि फाइल पर किसी ने फर्जी रूप से उनके हस्ताक्षर किए हैं. इस मामले के सामने आते ही नगर निगम में हड़कंप मच गया. महापौर प्रमिला पांडेय ने भी इस मामले को लेकर सभी अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर की. नगर स्वास्थ्य अधिकारी के फर्जी साइन कर 3.68 लाख का भुगतान हो जाने के मामले में महापौर ने जांच कराने की बात कही है. महापौर का कहना है कि इसी तरह न जाने अन्य कितनी फाइलों में फर्जी हस्ताक्षर हो सकते हैं और उनका भुगतान हो गया हो. ऐसे में जांच कराना काफी जरूरी हो गया है. महापौर ने कहा कि जांच में जो भी दोषी मिला, उसके खिलाफ सख्त एक्शन तय है.
ठेकेदार लेकर चलते हैं फाइल
महापौर के सामने नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने लिपिकों के रवैये पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि कई बार लिपिकों को फाइल लेकर न चलने को कहा जा चुका है. यही नहीं, नगर निगम में तो कई ठेकेदार भी अपने साथ फाइल लेकर घूमते हैं. खासतौर पर अभियंत्रण विभाग से जुड़े कई ठेकेदार फाइलों को एक विभाग से दूसरे विभाग में ले जाते हुए देखे जा सकते हैं. कई बार यह मामला नगर आयुक्त और महापौर के सामने भी आ चुका है.