ABC News: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने रविवार को कहा कि समाज धर्म का गलत अर्थ निकालता है. इसका अर्थ न तो मजहब है और न ही पंथ. इसका अर्थ है कर्तव्य और जिम्मेदारी. भारतीय संस्कृति दुनिया की अकेली संस्कृति है, जहां कई भिन्नताओं के बावजूद एकता दिखती है. यही हमारी प्रतिष्ठा का आधार है.
वह जवाहर लाल नेहरू युवा केंद्र में हिंदी प्रचारिणी समिति उत्तर प्रदेश और भारतीय बाल कल्याण संस्थान के अखिल भारतीय सर्वभाषा साहित्यकार सम्मेलन व अलंकरण समारोह में बोल रहे थे. मुख्य अतिथि के आसन से उन्होंने कहा कि वह विधानसभा में जानबूझकर हिन्दी के कठिन शब्द बोलते थे ताकि भाषा को लेकर धर्म आधारित जो भ्रम है, वह खत्म हो. राज्यपाल ने कहा कि उनका मन राष्ट्रीय राजनीति में आने का नहीं था. प्रदेश की राजनीति करना चाहता था. केवल हिन्दी के कारण राष्ट्रीय राजनीति में आना पड़ा. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हमें 1980 में बुलाकर कहा कि कानपुर हिन्दी का शहर है, आपकी हिन्दी बहुत अच्छी है. वहां से आप चुनाव जीत सकते हैं. बस एक बार वहां से लड़ जाएं फिर जहां से कहें वहां से लड़ाऊंगी. उन्होंने कहा कि सभी भाषाएं मां सरस्वती की वाहक हैं. हिन्दी तो हमारी भाषा है. संस्कृति और संस्कृत हमारी प्रतिष्ठा की आधार हैं. हमें जितनी भाषाएं आ जाएं, उन्हें सीखना चाहिए और उनका उपयोग करना चाहिए. हार्वर्ड का एक शोध कहता है कि जो जितनी भाषाएं जानता है और उसका उपयोग करता है, उसे अलजाइमर (भूलने की बीमारी) होने की संभावना न्यूनतम होती है. राज्यपाल ने कहा कि संसार तो एक विष वृक्ष है. इसमें दो फल हैं. एक साहित्य और दूसरा सज्जनों के साथ समय बिताना. इन दोनों फलों के सेवन से अमृत प्राप्त किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हमारा गौरव है कि क्रिश्चियन यूरोप से पहले केरल में आए. दुनिया की दूसरी मस्जिद केरल में बनी. हमारे वेद सर्वाधिक प्राचीन हैं. संस्थान के अध्यक्ष भूधर नारायण मिश्र ने कहा कि बच्चों की उपेक्षा कभी नहीं की जानी चाहिए.