ABC News : ( ट्विंकल यादव ) हाल के दशकों में जंक फूड / फास्ट फूड की खपत में काफी वृद्धि हुई है. इसमें हाई कैलोरी कंटेंट, ज्यादा शुगर, अनहेल्दी फैट्स और लो न्यूट्रिशन होता है. दुर्भाग्य से, इसका सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम पड़ा है. इसका टाइप 2 डायबिटीज की वैश्विक महामारी में बड़ा योगदान है. कभी मध्यम आयु वर्ग और अधिक उम्र के वयस्कों की बीमारी समझी जाने वाली टाइप 2 डायबिटीज अब बच्चों और किशोरों सहित सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही है. जंक फूड की खपत में वृद्धि और टाइप 2 डायबिटीज की घटनाओं के बीच संबंध ने स्वास्थ्य पेशेवरों और शोधकर्ताओं की चिंता बढ़ा दी है.
जंक फूड में होती है ज्यादा कैलोरी
गुरुग्राम के मेदांता के वरिष्ठ निदेशक, एंडोक्राइनोलॉजी और डायबिटोलॉजी डॉ. सुनील कुमार मिश्रा ने बताया, ‘यह सभी को पता है कि जंक फूड में ज्यादा कैलोरी होती है. इससे लोगों का वजन बढ़ने लगता है.’ उन्होंने कहा, ‘शरीर में शुगर लेवल को मैनेज करने के लिए, पेनक्रियाज शरीर में इंसुलिन बढ़ाने की कोशिश करता है लेकिन जब असंतुलन होता है तो डायबिटीज होती है, जबकि जंक फूड वयस्कों और बच्चों दोनों को प्रभावित कर सकता है, मुझे लगता है कि बच्चों में डायबिटीज विकसित होने का खतरा अधिक है क्योंकि बचपन में मोटापे की दर लगातार बढ़ रही है.’
बच्चों में बढ़ रहा टाइप-2 डायबिटिज
अप्रैल में अपोलो अस्पताल के एक स्टडी से पता चला कि भारत में 65 प्रतिशत मौतें और 40 प्रतिशत अस्पताल में भर्ती होने के पीछे ये गैर-संचारी रोग थे। एक्सपर्ट बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के मामलों की संख्या में वृद्धि देख रहे हैं, खासकर 12-18 वर्ष की आयु के किशोरों और कम उम्र के लोगों में. उनका मानना है कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि जिन लोगों में बचपन में मोटापा विकसित हो जाता है, वे वयस्क होने पर भी मोटे बने रहेंगे. इसके अतिरिक्त, टाइप 2 डायबिटीज वाले युवाओं में, जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती है, जटिलताओं की संभावना होती है.
देश में 10 करोड़ डायबिटिज के मरीज
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और पत्रिका ‘द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलॉजी’ में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, भारत में हाइपरटेंशन से पीड़ित 31. 5 करोड़ लोग हैं. वहीं डायबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या 10.1 करोड है. स्टडी से यह भी पता चला कि 13.6 करोड़ भारतीय प्री-डायबिटिक हैं.