ABC NEWS: प्रयागराज की रामलीला की भव्यता हर किसी को मोहित करती है. आस्था और परंपरा के साथ मंचित रामलीला को देखने के लिए शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्र से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं. रामलीला की एक अनूठी परंपरा दारागंज और कटरा रामलीला कमेटी के बीच सैकड़ों वर्षों से निभाई जा रही है. रावण के वध से पूर्व अलोपीबाग रामलीला पार्क में दोनों कमेटी के श्रीराम रावण से घमासान युद्ध करते हैं लेकिन जब रावण पर अंतिम बाण चलाने का समय आता है तो कटरा रामलीला के राम पीछे हट जाते हैं. इस बीच दारागंज के श्रीराम अंतिम बाण चलाकर रावण का वध करते हैं.
दारागंज रामलीला कमेटी के मीडिया प्रभारी तीर्थराज पांडेय ने बताया कि कटरा रामलीला में रावण का वध नहीं किया जाता, बल्कि पूजा की जाती है. इसलिए अलोपीबाग रामलीला के मंच पर जब रावण का वध हो जाता है तब दोनों कमेटी के श्रीराम अलोपीदेवी मंदिर में जाकर पूजन-अर्चना करते हैं. साथ ही ब्रह्म हत्या से मुक्ति के लिए क्षमा याचना करते हैं.
गौरतलब हो कि दारागंज रामलीला का बुधवार से मंचन शुरू हो गया. रामलीला के पहले दिन बक्शी खुर्द स्थित शृंगार भवन में आकाशवाणी और श्रीराम जन्म प्रसंग का मंचन किया गया. कमेटी के लीला संयोजक पं. सियाराम शास्त्री के निर्देशन में आकाशवाणी की लीला प्रस्तुत की गई. इस अवसर पर आकाशवाणी हुई कि धरती वासियों अब आप परेशान न हों, सबका उद्धार करने के लिए प्रभु श्रीराम का जन्म हो चुका है. आकाशवाणी के साथ बादल की गर्जना होने लगी. श्रीराम का जन्म होते ही अयोध्या नगरी में खुशियां छा गईं. बधाइयां बजने लगीं. प्रभु के जन्म के समय आकाश से देवताओं के पुष्प वर्षा की। बैंड बाजा के साथ भक्ति गीत की धुन प्रस्तुत की गई.