ABC NEW: शिक्षा का अधिकार के तहत जिन बच्चों के प्रवेश सत्र 2018-19 में हुए थे उन्हें कोविड काल में स्मार्ट फोन से पढ़ाई न करने पर स्कूल ने निकाल दिया. इसमें एक मजदूर स्कूल के चक्कर काटते-काटते जब थक गया तो उसने बच्चे को घर पर ही बैठा लिया. बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय तक ऐसे चार प्रकरण सामने आए हैं. स्कूल शिक्षा महानिदेशक से भी शिकायत की गई है.
उस्मानपुर निवासी देशराज मजदूरी करके किसी तरह परिवार का पेट पालते हैं. सामाजिक कार्यकर्ताओं के कहने पर उन्होंने बेटी अर्चना का एडमिशन आरटीई के तहत सत्र 2018-19 में साकेत नगर स्थित वेंडी एकेडमी हाईस्कूल में प्री नर्सरी कक्षा में करा दिया था. देशराज के अनुसार एक सत्र उसने पूरी पढ़ाई की. अगले सत्र में कोरोना काल के दौरान किसी भी तरह का फोन नहीं होने के कारण पढ़ाई बाधित हो गई.
स्कूल खुला तो नहीं दी इंट्री
देशराज बताते हैं कि सत्र 2022-23 की शुरुआत हुई तो वह बेटी को लेकर स्कूल गए। स्कूल ने मेरी बेटी को पढ़ाने से मना कर दिया. प्रिंसिपल से यही जवाब मिलता रहा कि जब स्मार्ट फोन नहीं तो पढ़ाई क्यों कराते हो. इसकी शिकायत बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में की पर स्कूल न माना.
यही हाल अन्य तीन बच्चों का भी
उस्मानपुर निवासी सनोज भी मजदूरी कर बच्चों का पेट पालते हैं. उनकी बेटी सान्या का दाखिला भी वर्ष 2018-19 में प्री नर्सरी में हुआ था पर स्मार्ट फोन न होने से प्रवेश नहीं दिया. इसी तरह राम खिलावन और रामबाबू ने भी अपने बेटे-बेटी को स्कूल से निकालने की शिकायतें की हैं.
स्कूल को बीएसए ने दिया नोटिस
बेसिक शिक्षा अधिकारी सुरजीत कुमार सिंह ने वेंडी एकेडमी हाईस्कूल, साकेत नगर के प्रबंधक और प्रधानाचार्य को नोटिस जारी कर अभिभावकों के स्तर से की गई शिकायतों का हवाला दिया है. स्पष्ट किया है कि यदि शिकायतकर्ताओं की शिकायतें सत्य हैं तो यह स्थिति अत्यंत खेद जनक है. नोटिस में बीएसए ने प्रबंधक और प्रधानाचार्य को कार्यालय में उपस्थित होकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.
स्कूल महानिदेशक से भी शिकायत की
समाजसेवी संदीप पांडेय और महेश कुमार ने अभिभावकों की ओर से वेंडी एकेडमी हाईस्कूल की शिकायत की है, जहां आरटीई से सत्र 2018-19 में प्रवेश पाए बच्चों को कोविड काल में स्मार्ट फोन से पढ़ाई न कर पाने के कारण निकाल दिया गया है. स्कूल महानिदेशक आनन्द किरण ने तत्काल कार्रवाई का आश्वासन भी दिया.