ABC NEWS: इस साल अधिक मास अमावस्या 16 अगस्त दिन बुधवार को है. अधिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 15 अगस्त को दोपहर 12:42 बजे से प्रारंभ हो जाएगी और यह तिथि 16 अगस्त को दोपहर 03:07 बजे तक मौजूद रहेगी. उसके बाद से सावन शुक्ल पक्ष प्रारंभ हो जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या के दिन पितर पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने वंश से तृप्त होने की उम्मीद रखते हैं. जो लोग अपने पितरों का तर्पण, पिंडदान या श्राद्ध नहीं करते हैं, उनसे वे नाराज हो जाते हैं. इस वजह से पितृ दोष लगता है. पितरों को खुश करने के लिए अधिक मास अमावस्या पर आप स्नान के बाद पितरों के लिए तर्पण करें. जानते हैं कि पितरों के लिए तर्पण की सही विधि क्या है?
पितरों के लिए तर्पण की सही विधि
काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट का कहना है कि पितर लोक में जल की कमी होती है, इसलिए पितरों को जल से तर्पण देकर तृप्त करते हैं. तर्पण करते समय ओम पितृभ्यः नमः या फिर ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए. भगवान विष्णु की कृपा से ही आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है.
1. अधिक मास अमावस्या को नित्यकर्म से निवृत होकर पवित्र नदी में स्नान करें. यदि नदी स्नान संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें और साफ वस्त्र पहन लें.
2. पितरों के तर्पण के लिए पीतल का बर्तन, पानी, गंगाजल, काला तिल, कच्चा दूध, जौ, सफेद फूल आदि सामग्री की आवश्यकता पड़ती है. यदि ये सब नहीं भी है तो आप केवल जल से ही तर्पण कर सकते हैं.
3. तर्पण करने के लिए दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके बैठ जाएं. अंगुली में कुश की पवित्री धारण कर लें. फिर पीतल के बर्तन में पानी भर लें. उसमें गंगाजल, काला तिल, कच्चा दूध, जौ, सफेद फूल आदि सामग्री डाल लें.
4. अपने पितरों का स्मरण करते हुए 3 बार तपरांतयामि कहें और जल तथा अन्य सामग्री से अपने अंगूठे की ओर जलांजलि दें. तर्पण के समय जल तथा उन सामग्री को पितरों के निमित्त नीचे रखे बर्तन में छोड़ते हैं. इससे पितर तृप्त होते हैं. तर्पण के बाद जल और सामग्री को किसी पेड़ की जड़ में चढ़ा दें.
5. यदि आप इस विधि से करने में असमर्थ है तो केवल जल लेकर अपने पितरों को अर्पित कर दें और कहें कि आप अपने सभी पितरों को जल और वचन से तृप्त कर रहे हैं.
अधिक मास अमावस्या का महत्व
अधिक मास के अधिपति देव भगवान श्रीहरि विष्णु हैं, जो सभी के लिए मोक्ष प्रदान करते हैं. अमावस्या का दिन पितरों की तृप्ति के लिए है. ऐसे में अधिक मास अमावस्या का महत्व बढ़ जाता है. अधिक मास अमावस्या पर आप अपने पितरों के निमित्त पूजा-पाठ, दान आदि करें. श्रीहरि विष्णु की पूजा करें. उसके बाद भगवान विष्णु से अपने पितरों को मोक्ष प्रदान करने की प्रार्थना करें. आपके पितर प्रसन्न हो जाएंगे.
प्रस्तुति: भूपेंद्र तिवारी