कानपुर चिड़ियाघर में 6 वर्ष बाद बब्बर शेर और बाघ का कुनबा बढ़ाने की कवायद

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ABC NEWS: कानपुर चिड़ियाघर में बब्बर शेर और बाघ का कुनबा बढ़ाने की कवायद शुरू की जाने वाली है जिसके लिए अधिकारियों ने कमर कस ली है जिससे जंगल के राजा का परिवार बढ़ सकता है. इससे पहले शेर के बच्चे जू में 2017 में हुए थे, जबकि बाघ ने 2015 में शावकों को जन्म दिया था. सात-आठ साल बाद फिर से प्रजनन प्रक्रिया शुरू होने से अधिकारी भी उत्साहित हैं.

उपनिदेशक डॉ. अरविंद सिंह के अनुसार, कानपुर प्राणि उद्यान में शेर और बाघ के शावक आने वाले दिनों में दिखेंगे. इसके लिए जरूरी प्रक्रिया हमारी तरफ से शुरू कर दी गई है. यहां अभी दो फीमेल व दो मेल शेर हैं जिनके नाम अजय, शंकर, उमा व सुदेवी हैं. वहीं नौ बाघ हैं. इसमें से चार फीमेल दुर्गा, लूना, मालती, पुष्पा हैं. एक और फीमेल बाघिन तृषा अब उम्रदराज हो चुकी है. मेल बाघ प्रशांत, बादल, बागीरा, मल्लू हैं.

प्रजनन प्रक्रिया के लिए कई चरण अपनाए जाते हैं. सबसे पहले अगल-बगल बाड़े में मेल-फीमेल को रखा जाता है. बीच में एक जाली बना दी जाती है. अगर दोनों एक-दूसरे को देखकर हिंसक रूप नहीं अपनाते हैं तो उन्हें फिर एक बाड़े में कर दिया जाता है. 90 से 105 दिन होता है.

गर्भावस्था का समय : उपनिदेशक के अनुसार, शेर फीमेल के गर्भावस्था का समय 90 से 105 दिन का होता है. पहली बार में शेरनी एक या दो ही बच्चों को जन्म देते हैं, जबकि अगली बार दो से चार बच्चे देते हैं. यहां जन्मे व पले-बढ़े बब्बर व बाघों को तिरुपति, गोरखपुर समेत देश के अन्य दूसरे चिड़ियाघर में भी भेजा गया है.

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