ABC NEWS: कानपुर शहर में जुलाई में पकड़े गए 500 मच्छरों की रिपोर्ट सोमवार को आ गई जिन इलाकों से इन्हें पकड़ा गया, वहां जीका और डेंगू का वायरस तो नहीं मिला लेकिन डेंगू फैलाने वाला एडीज मच्छर जरूर पाया गया है. इसके मायने यह कि अभी भी जीका-डेंगू का वाहक एडीज मच्छर मौजूद है.
कानपुर में क्यूलेक्स प्रजाति का मच्छर सबसे ज्यादा इन्हीं इलाकों में है. स्वास्थ्य विभाग ने भवानी नगर, श्याम नगर, फेथफुलगंज, दर्शनपुरवा, मीरपुर, तिवारीपुर, बर्रा-5, आदर्श नगर, लालबंगला, काजीखेड़ा, ओमपुरवा, मानस विहार, हरजेंदर नगर, जेके कॉलोनी, काकोरी से पांच सौ मच्छरों को पकड़ कर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च को जांच के लिए भेजा था. रिपोर्ट के मुताबिक इन इलाकों में 17 एनाफिलिज, 287 क्यूलेक्स, छह आर्मीगेरेस, एडीज एजिपाई में 49 नर, 72 मादा और 2 एडीज एल्बोपिकट्स की प्रजाति पाई गई.
हालांकि सभी में जीका और डेंगू निगेटिव रिपोर्ट आई हैं. एसीएमओ डॉ. आरएन सिंह के मुताबिक रिपोर्ट ने साबित कर दिया है कि जीका और डेंगू का खतरा नहीं है.
क्या आर्मिगेरेस से फैला चकेरी में जीका
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च ने सोमवार को रिपोर्ट में कानपुर में पहली बार आर्मिगेरेस प्रजाति के मच्छर होने का खुलासा किया है. चिंताजनक है कि यह ज्यादातर पहाड़ों पर पाई जाती है और इसे जीका वायरस का बड़ा वाहक माना जाता है. स्वास्थ्य विभाग को आशंका है कि चकेरी के जिन इलाकों में बीते साल जीका फैला, वहां पर इसी मच्छर से भी जीका फैला है. रिपोर्ट में छह मच्छर इसी प्रजाति के होने का खुलासा हुआ है.
तिवारीपुर मे एक, भवानीनगर में एक, आदर्शनगर में दो, रामगली हरजेंदरनगर में दो मच्छर इस प्रजाति के मौजूद हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक इस मच्छर की प्रजाति चीन और मणिपुर में मिलती है लेकिन कानपुर के चकेरी इलाके में कैसे आ गई, इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग भी हैरान है. कानपुर में अभी तक एडीज, क्यूलेक्स और एनाफिलिज मच्छरों की प्रजाति ही मिलती रही है पर इस नई प्रजाति ने कौतूहल पैदा कर दिया है. जिला महामारी अधिकारी डॉ. एके सिंह भी मानते हैं कि नई प्रजाति यहां कैसे आई, यह अपने आप में हैरानी जता रहा है.