ABC NEWS: वाहनों के बढ़ते दबाव को देखते हुए यमुना एक्सप्रेसवे में दो लेन और बढ़ाई जाएंगी. इसके बाद यह एक्सप्रेसवे आठ लेन का हो जाएगा. लेन बढ़ाने के लिए एक्सप्रेसवे के दोनों ओर जगह मौजूद है. एक माह में इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार हो जाएगी. साथ ही एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों में लगे क्रैश बीम बैरियर की ऊंचाई एनएचएआई के मानकों के अनुसार की जाएगी. इससे हादसा होने के बाद वाहन नीचे नहीं जाएंगे.
ग्रेटर नोएडा से आगरा तक का यमुना एक्सप्रेसवे 165 किलोमीटर लंबा है. नौ अगस्त 2012 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसका उद्घाटन किया था. परियोजना पर 12,839 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. इसका निर्माण जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड ने किया था. यमुना प्राधिकरण के साथ हुए अनुबंध के अनुसार इसे छह लेन का बनाया गया. शर्तों के अनुसार, जब इस पर वाहनों की संख्या रोजाना 32 हजार हो जाएगी तो दो लेन और बढ़ाई जाएंगी. यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि इस एक्सप्रेसवे पर रोजाना 30 से 32 हजार वाहन गुजरते हैं.
अब एक्सप्रेसवे में दो लेन और बढ़ाने की जरूरत है. इसको लेकर सोमवार को जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के अधिकारियों के साथ बैठक हुई. इसमें तय किया गया कि एक्सप्रेसवे की दो लेन और बढ़ाई जाएं. इसके लिए जमीन मौजूद है. दो लेन और बढ़ने के बाद एक्सप्रेसवे आठ लेन का हो जाएगा. अब जेपी इंफ्राटेक इसकी डीपीआर बनाएगा. डीपीआर बनने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। विस्तारीकरण का काम जेपी इंफ्राटेक करेगा. इसका खर्च जेपी भी कंपनी देगी.
इसलिए भी पड़ेगी जरूरत
2024 में जेवर एयरपोर्ट का संचालन शुरू होना है. एयरपोर्ट शुरू होने पर वाहनों की संख्या और बढ़ेगी. इसको देखते हुए यह काम एयरपोर्ट का संचालन शुरू होने से पहले पूरा करने की तैयारी है.
एक्सप्रेसवे के किनारे लगे बैरियर की ऊंचाई बढ़ेगी
यमुना एक्सप्रेसवे के दोनों किनारे लगे बैरियर की लंबाई बहुत कम है. इसके चलते हादसे के बाद वाहन नीचे गिर जाते हैं. जीरो प्वाइंट पर भी सोमवार को इसी तरह का हादसा हुआ है. अब एक्सप्रेसवे के किनारे लगे क्रैश बीम बैरियर की ऊंचाई बढ़ाई जाएगी। अभी इनकी ऊंचाई आधा मीटर है. बैरियर की ऊँचाई NHAI के मानकों के अनुसार की जाएगी बैरियर ऊंचा होने से हादसे के बाद वाहन नीचे नहीं गिरेंगे. इसके अलावा कोई जानवर भी नहीं आ सकेगा। यह काम भी जल्द शुरू होगा.
लड़ाकू विमान उतरे थे एक्सप्रेसवे पर
इस एक्सप्रेसवे की परिकल्पना 2001 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन राजनाथ सिंह सरकार ने की थी. परियोजना पर 2007 में फिर से कवायद शुरू हुई. बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2007 के राज्य चुनावों में सत्ता हासिल की और इसका नाम बदल दिया. 2008 तक इसका नाम ताज एक्सप्रेसवे था, बाद में यमुना एक्सप्रेसवे कर दिया गया. यमुना एक्सप्रेसवे को जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड ने बनाया. लड़ाकू विमानों की लैंडिंग भारत में पहली बार सैन्य उड्डयन के लिए यमुना एक्सप्रेसवे पर करवाई गई थी. भारतीय वायु सेना ने 21 मई 2015 को मथुरा के राया गांव के पास यमुना एक्सप्रेसवे पर एक फ्रेंच डसॉल्ट मिराज 2000 को उतारा था.
आंकड़ों में एक्सप्रेसवे
लंबाई : 165 किमी
लेन की संख्या : 6 लेन
इंटरचेंज : 7
मुख्य टोल प्लाजा : 3
इंटरचेंज लूप पर टोल प्लाजा : 7
अंडरपास : 35
रेलवे ओवर ब्रिज : 1
प्रमुख पुल : 1
माइनर ब्रिज : 42
कार्ट ट्रैक क्रॉसिंग : 68
वाहन अंडरपास : 70
यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने कहा कि यमुना एक्सप्रेसवे पर वाहनों की संख्या बढ़ी है. अब दो लेन और बढ़ाई जाएंगी. इसकी डीपीआर बनाई जाएगी. साथ ही एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों में लगे बैरियर की ऊंचाई बढ़ाई जाएगी.