ABC News: यौन संबंध बनाने के लिए सहमति की उम्र के मुद्दे पर गौर कर रहे 22वें विधि आयोग ने हाल में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की और इस विषय पर विवरण मांगा. सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम का बीते वर्षों में किशोर-किशोरियों के बीच संबंध की प्रकृति निर्धारित करने में सहमति की भूमिका के साथ अक्सर टकराव हुआ है.
सूत्रों ने कहा कि विधि आयोग ने सरकार के साथ एक बैठक की और सहमति की उम्र के विषय पर कुछ सूचना मांगी. एक सरकारी पदाधिकारी ने कहा, ‘‘हम मुद्दे का निपटारा कर रहे हैं. हमने कुछ सूचना मुहैया करने के लिए उनके साथ एक बैठक की.” पिछले साल, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि पॉक्सो अधिनियम का उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण से बचाना है और इसका मतलब किशोर-किशोरियों के बीच सहमति से बनाए गए ‘रोमांटिक’ संबंधों को आपराधिक घोषित करना नहीं है. अदालत ने यह टिप्पणी एक किशोर को जमानत देते हुए की थी, जिसने 17 वर्षीय एक किशोरी से शादी कर ली थी और उसे (किशोर को) 2012 में बने अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था. विधि आयोग का गठन प्रत्येक तीन साल पर किया जाता है. यह सरकार को जटिल कानूनी मुद्दे पर सलाह देता है. मौजूदा विधि आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी कर रहे हैं. मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि वर्षों से पॉक्सो सहित अन्य कानूनों में किशोर और किशोरियों के बीच सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंधों का निर्धारण करने में सहमति के कारण परेशानी होती है. पॉक्सो में 18 साल से कम उम्र के लोगों को बच्चा या फिर नाबालिग माना जाता है. इसी मामले में कुछ जानकारियां देने के लिए बैठक की गई थी.