राम लला की प्राण प्रतिष्ठा पर अमेरिका, ब्रिटेन, यूएई समेत क्या कह रहा वर्ल्ड मीडिया?

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ABC NEWS: अयोध्या में बन रहे विशाल राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान को पूरा किया जिसे लेकर देशभर में उत्सव का माहौल है. भारत के लोग ही नहीं बल्कि विदेशों में रह रहे भारतीयों के बीच भी आज दीवाली जैसा जश्न देखने को मिल रहा है. विदेशी मीडिया में भी राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की खूब चर्चा है.

अमेरिका की मीडिया ने क्या कहा?
अमेरिका के ब्रॉडकास्टर एनबीसी न्यूज ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में ‘धार्मिक तनाव’ का प्रतीक बन गया है. अयोध्या में बन रहा मंदिर राम का मंदिर है जो प्रमुख हिंदू देवता हैं. यह मंदिर 30 लाख आबादी वाले शहर अयोध्या की कायापलट कर उसे एक पर्यटक स्थल बनाने में अहम भूमिका बनाएगा.

अमेरिकी एनजीओ हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स’ की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुनीता विश्वनाथ के हवाले से अमेरिकी ब्रॉडकास्टर ने लिखा कि उद्घाटन समारोह एक ‘चुनावी हथकंडा’ है और धर्म के नाम पर ऐसी चीजें नहीं की जानी चाहिए. हालांकि, हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स के ट्विटर अकाउंट को एक कानूनी शिकायत के बाद अक्टूबर महीने में भारत में सस्पेंड कर दिया गया था.

सुनीता विश्वनाथ के हवाले से अमेरिकी अखबार ने लिखा, ‘मोदी कोई पुजारी नहीं हैं इसलिए राजनीतिक फायदे के लिए प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान खुद करना अनैतिक और हर तरह से गलत है.’

अमेरिकी अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि मंदिर दर्शन के लिए हर दिन करीब 2 लाख भक्त जा सकेंगे.

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अखबार ने क्या कहा?
यूएई के अखबार गल्फ न्यूज ने अपनी एक रिपोर्ट को शीर्षक दिया है- नरेंद्र मोदी का अयोध्या के हिंदू मंदिर का उद्घाटन करना भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा.

अखबार ने एजेंसियों के हवाले से लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी के दशकों पुराने वादे को निभाने के लिए तैयार हैं. केंद्र सरकार ने आधे दिन की छुट्टी का ऐलान किया है ताकि इसके कर्मचारी उत्सव मना सकें. भारत का स्टॉक मार्केट भी बंद है. कई राज्यों ने भी आधे या पूरे दिन की छुट्टी रखी है.

अखबार ने आगे लिखा, ‘मोदी का हिंदू राष्ट्रवाद वोटर्स के बीच उनकी लोकप्रियता का सबसे अहम तत्व है, उनके वोटर्स उनकी एकछत्र लोकप्रियता और उन्होंने भारत को जिस मुकाम पर पहुंचाया है, उसके कायल हैं. देश का आर्थिक विकास दर 7% से ज्यादा है और इसका स्टॉक मार्केट रिकॉर्ड कायम कर रहा है.’

अखबार ने लिखा है कि 2.7 एकड़ का मंदिर 70 एकड़ के परिसर में फैला है.अनुमान है कि मंदिर निर्माण में 15 अरब रुपये खर्च होंगे. मंदिर परिसर के अधिकांश हिस्से पर काम जारी है और अधिकारियों का कहना है कि इसके पूरा होने में अभी भी कई साल लगेंगे.

ब्रिटेन की मीडिया ने क्या छापा?
लंदन स्थित समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर उद्घाटन को ऐतिहासिक क्षण बताते हुए भारतीयों से आग्रह किया है कि वो सोमवार को अपने घरों और पास के मंदिरों में दीये जलाकर दीवाली मनाएं.

राजनीतिक टिप्पणीकार पृथ्वी दत्ता चंद्रा शोभी के हवाले से रॉयटर्स ने लिखा, ‘मंदिर का उद्घाटन किसी धार्मिक उत्सव से ज्यादा आम चुनावों के प्रचार की शुरुआत लग रहा है. ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री एक राजा की भूमिका में हैं जो एक बड़ा धार्मिक अनुष्ठान कर रहा है.’

रॉयटर्स ने लिखा कि राम मंदिर के उद्घाटन समारोह ने भारत में राजनीतिक विवाद भी पैदा कर दिया है क्योंकि भारत के सभी बड़े विपक्षी दलों जिसमें कांग्रेस भी शामिल है, ने उद्घाटन समारोह में शामिल होने का न्योता अस्वीकार कर दिया. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि उद्घाटन समारोह को राजनीतिक, मोदी इवेंट बना दिया गया है.

‘एक ऐसे देश की सरकार धार्मिक उत्सव मना रही….’
ब्रिटेन के ब्रॉडकास्टर बीबीसी वर्ल्ड ने लिखा है कि मंदिर 16वीं शताब्दी में बनी एक मस्जिद की जगह लेगा जिसे हिंदुओं की एक भीड़ ने साल 1992 में तोड़ दिया था. मस्जिद के विध्वंश के बाद देशभर में दंगे भड़क गए थे जिसमें करीब 2,000 लोग मारे गए थे. मंदिर के उद्घाटन में भारत के टॉप फिल्म स्टार्स, उद्योगपति, क्रिकेटर हिस्सा ले रहे हैं लेकिन अधिकतर विपक्षी पार्टियों ने इससे दूरी बनाई है. विपक्ष का कहना है कि पीएम मोदी राम मंदिर के उद्घाटन को अपने राजनीति फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.

बीबीसी वर्ल्ड ने आगे लिखा, ‘आलोचकों ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया है कि एक ऐसे देश की सरकार धार्मिक उत्सव को मना रही है जो संविधन के अनुसार, धर्मनिरपेक्ष है.’

ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर ने लिखा कि पीएम मोदी ने मंदिर निर्माण को एक बड़ी सफलता बताया है और कहा है कि देश मंदिर का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. पीएम मोदी के एक भाषण के हवाले से रिपोर्ट में लिखा गया, ‘पीएम मोदी ने इस महीने की शुरुआत में अपने एक संदेश में कहा था कि कई पीढ़ियां इस क्षण का इंतजार कर रही थीं. उन्होंने कहा कि वह उद्घाटन समारोह में भारत के सभी 1.4 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करेंगे.’

रिपोर्ट में आगे लिखा गया, ‘कुछ बड़े धार्मिक संतों ने कहा है कि चूंकि मंदिर अभी तक पूरा नहीं हुआ है, इसलिए वहां इस तरह के अनुष्ठान करना हिंदू धर्म के खिलाफ है. कई विपक्षी नेताओं ने भी इससे दूर रहने का फैसला किया है.’

रूस की सरकारी मीडिया में क्या छपा?
रूस के अखबार रशिया टुडे (RT) ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि अयोध्या में राम मंदिर के बनने से शहर की कायापलट हो गई है.

रिपोर्ट में लिखा गया, ‘अयोध्या, जिसे हिंदू भगवान का जन्मस्थान माना जाता है, यहां अब बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर का काम आगे बढ़ रहा है और जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने नए होटल बनाने के लिए एक दर्जन से अधिक परमिट जारी किए हैं, और इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगभग 4 अरब डॉलर पहले ही खर्च किए जा चुके हैं.’

रूसी अखबार ने लिखा कि मंदिर निर्माण प्रधानमंत्री के 2019 के चुनावी वादों में से एक था. मंदिर का उद्घाटन आम चुनावों से कुछ महीने पहले किया गया है. मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी की एक मस्जिद के स्थान पर किया जा रहा है जिसे ‘हिंदू कार्यकर्ताओं’ ने तोड़ दिया था. उनका मानना था कि मस्जिद का निर्माण राम मंदिर को तोड़कर किया गया था. मस्जिद तोड़े जाने पर बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे.

नेपाल के अखबार ने क्या कहा?
नेपाल के प्रमुख अखबार ‘द काठमांडू पोस्ट’ ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा कि मंदिर के उद्घाटन में भगवान राम से भी अधिक जो व्यक्ति लाइमलाइट बटोर रहा है, वो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं जो भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य के प्रधानमंत्री हैं.

अखबार ने आरोप लगाया है कि भारत धर्मनिरपेक्षता के अपने सिद्धांत से बहुत दूर हो चुका है और अयोध्या में भारत की धर्मनिरपेक्षता मिट्टी में मिल गई है.

कतर के टीवी नेटवर्क अलजजीरा ने क्या कहा?
कतर स्थित टीवी नेटवर्क अलजजीरा ने एक ऑपिनियन लेख में लिखा है कि ‘भारत की धर्मनिरपेक्षता भगवा राजनीति के पहाड़ तले दब गई है.’

भारत की राजनीतिक टिप्पणीकार इंसिया वाहन्वति के लिखे लेख में कहा गया है कि धर्मनिरपेक्ष भारत के किसी प्रधानमंत्री का मंदिर का उद्घाटन करना अनुचित है.

लेख में कहा गया, ‘बाबरी मंदिर का विध्वंस आज भी मुसलमानों के लिए दुखदायी है. विध्वंस के बाद हुए दंगों में जो लोग मारे गए, हममें से कई लोगों को आज भी वो याद हैं. राजनीतिक वादे किए गए कि मस्जिद फिर से बनाया जाएगा लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं.’

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