ABC News: भारत के मिसाइलमैन के नाम से जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पीतल की मूर्ति कानपुर के डीएमएसआरडीई कैंपस में लगाई गई है. डीएमएसआईडीई के निदेशक डॉ. मयंक द्विवेदी का दावा है कि डॉ. कलाम की धातु की इससे बड़ी मूर्ति पूरे विश्व में कहीं नहीं लगी है.
उन्होंने बताया कि संस्थान के मुख्य गेट पर लगने वाली डॉ. कलाम की मूर्ति छह फीट लंबी और 220 किलो वजनी होगी. इसका अनावरण करने के लिए डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत, डीएमएसआरडीई आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह सुखद संयोग है कि अयोध्या में प्रभु श्री राम के मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले कानपुर में डॉ. कलाम की मूर्ति का अनावरण हो रहा है. डीएमएसआरडीई निदेशक ने बताया कि डॉ. कलाम की यह मूर्ति युवाओं से लेकर रिसर्च करने वाले लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत साबित होगी. इसके अलावा संस्थान के नए भवन का भी डीआरडीओ निदेशक लोकार्पण करेंगे. इस नए भवन में डीएमएसआरडीई के सभी विभाग एक साथ बैठक काम कर सकते हैं. इस भवन में अत्याधुनिक उपकरणों के साथ बेहतर टेक्नोलॉजी का समावेश होगा. डीएमएसआरडीई के निदेशक ने बताया कि संस्थान ने कई नवीन शोध किए हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण रिसर्च सिलिकॉन कार्बाइड फाइबर की है. इससे पहले इसकी रिसर्च अमेरिका और जापान जैसे देशों ने की है, इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल के लिए नए फ्यूल का अविष्कार किया है. जो माइनस 40 से 50 डिग्री में भी अधिक मारक क्षमता से काम करेगा. यही नहीं, सैनिकों के लिए एलटी राइट शूट का अविष्कार किया है, जो दुश्मन की गोलियांे से बचाव करेंगी. इसके अलावा बारूदी सुरंग से बचाव के लिए एंटी माइन शूज़, इसके अलावा बैलिस्टिक हेलमेट से लेकर, टॉरपीडो और नैनो टेक्नोलॉजी में शोध किए गए हैं, इन सभी का तेजी से ट्रायल चल रहा है.