नीट-यूजी पेपर लीक केस में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि यह परीक्षा दोबारा नहीं कराई जा सकती क्योंकि बड़ी गड़बड़ी साबित नहीं हो सकी है. कोर्ट ने कहा कि फिर से परीक्षा कराना ठीक नहीं होगा और यह 24 लाख छात्रों के भविष्य का मामला है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अदालत ने कहा कि इस मामले में व्यवस्थागत खामी की बात साबित नहीं होती है. इसलिए दोबारा से परीक्षा कराने का आदेश नहीं दिया जा सकता.
अदालत ने कहा, ‘फिर से एग्जाम कराने का आदेश देना 24 लाख बच्चों के लिए मुश्किल भरा होगा, जिन्होंने परीक्षा दी थी. इससे एडमिशन का शेड्यूल भी बाधित होगा. इसके अलावा मेडिकल एजुकेशन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा. यही नहीं इसका असर भविष्य में योग्य मेडिकल प्रोफेशनल्स की कमी के तौर पर भी दिख सकता है. इसके अलावा यह उन वंचित लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय होगा, जिन्हें सीटों पर आरक्षण मिला था.’ इसके अलावा एक विवाद परीक्षा में आए एक प्रश्न पर भी था। इसके दो सही जवाब बताए जा रहे थे.
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी दिल्ली को एक्सपर्ट कमेटी गठित करने को कहा था. उस कमेटी ने सवाल के दो जवाबों पर पैदा हुए भ्रम पर कहा था कि चौथा विकल्प ही सही है. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि एनटीए इस विकल्प के आधार पर रिजल्ट का फिर से मिलान कर लेगा. अदालत ने कहा कि एनटीए ने 1563 छात्रों की दोबारा परीक्षा भी कराई थी. उन लोगों को विकल्प मिला था कि ग्रेस मार्क्स नहीं मिलेंगे और यदि वे चाहें तो दोबारा परीक्षा दे सकते हैं. यह भी विकल्प था कि जो बिना ग्रेस मार्क्स के ही मेरिट का हिस्सा बनना चाहते हैं, वे चाहें तो परीक्षा न भी दें.
अब कल से शुरू हो जाएगी नीट की काउंसिलिंग
कोर्ट के इस आदेश के बाद अब कल से नीट यूजी की काउंसिलिंग शुरू हो जाएगी. अदालत ने कहा कि पेपर लीक की बात हजारीबाग में ही साबित हो पाई है. इस मामले में व्यवस्थागत लीक की बात साबित नहीं हो सकी है. ऐसे में परीक्षा को रद्द करने की मांग सही नहीं है. बेंच ने कहा कि अब तक 155 छात्रों को ही लीक से फायदा होने की आशंका है. ऐसे में बड़े पैमाने पर छात्रों के भविष्य को अधर में नहीं लटका सकते.