‘नॉन वेजिटेरियन्स की तुलना में शाकाहारी भोजन खाने वाले लोगों में हिप (कूल्हा) फ्रैक्चर का खतरा अधिक’

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ABC NEWS: हमारा स्वास्थ्य कैसा है और आगे कैसा रहेगा, यह काफी हद तक हमारे खाने पर निर्भर करता है. आजकल के समय में बहुत सारे लोगों ने मीट से दूरी बनानी शुरू कर दी है जिसका कारण है मीट से होने वाली बीमारियां. विभिन्न रिसर्च में यह सामने आ चुका है कि मीट का अधिक सेवन कोलेस्ट्रॉल, हार्ट और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का शिकार बना सकता है. लेकिन ब्रिटेन में हुई एक रिसर्च मीट ना खाने से इंसान को होने वाले नुकसान के दूसरे पहलू से भी रूबरू कराती है.

ब्रिटेन में हुई एक स्टडी में दावा किया गया है कि वेजिटेरियन लोगों में हिप फैक्चर होने का खतरा मांसाहारी लोगों की तुलना में 50 प्रतिशत ज्यादा होता है.

ब्रिटेन में मीट, पेस्केटेरियन (मीट ना खाने वाले लेकिन फिश खाने वाले लोग) और वेजिटेरियन लोगों में कूल्हे के फ्रैक्चर के जोखिमों को लेकर एक रिसर्च की गई थी जिसमें चौंकाने वाले नतीजे सामने आए. अध्ययन से पता चला कि ऐसे महिला और पुरुष जो शाकाहारी भोजन करते हैं, उनमें कूल्हे के फ्रैक्चर होने का खतरा 50 प्रतिशत अधिक पाया गया. इसका कारण आंशिक रूप से शाकाहारी आहार का पालन करने वाले प्रतिभागियों के बीच लोअर बॉडी मास इंडेक्स से जोड़कर देखा गया.

रिसर्चर्स ने 4,13,914 लोगों, जिनमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हैं, के डेटा की गहनता से जांच की थी.

बीएमसी मेडिसिनट्रस्टेड में प्रकाशित इस स्टडी में शोधार्थियों ने बताया कि शाकाहारी भोजन का पालन करने वाले कुछ लोगों में प्रोटीन और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो सकती है जिससे मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर हो सकती हैं. शाकाहारी भोजन करने वाले लोगों ध्यान रखना चाहिए कि वो हड्डियों के फ्रैक्चर के जोखिम को कम करने के लिए संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार खाएं.

डाइट पैटर्न से हिप फ्रैक्चर का खतरा कैसे बढ़ जाता है?

वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगाने के लिए करीब चार लाख से अधिक लोगों का आकलन किया था. इसके लिए शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक के डेटा का उपयोग किया जिसमें इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स के 40-69 आयुवर्ष के व्यक्ति शामिल थे. शोधकर्ताओं ने इन प्रतिभागियों पर औसतन साढ़े बारह साल बाद हिप फ्रैक्चर के रिस्क फैक्टर पाए.

निष्कर्षों से संकेत मिला कि जो लोग शाकाहारी भोजन करते हैं, उनमें मीट खाने वाले समूहों और पेस्केटेरियन लोगों की तुलना में कूल्हे के फ्रैक्चर का अनुभव होने का जोखिम 50 प्रतिशत अधिक था.

शाकाहारियों में हड्डी टूटने का खतरा अधिक क्यों होता है?

शोधकर्ताओं ने बताया कि इस बढ़े हुए जोखिम का कारण शाकाहारी भोजन करने वाले प्रतिभागियों का लोअर बॉडी मास इंडेक्स हो सकता है. कम बीएमआई का मतलब मांसपेशियों और हड्डियों का पूरी तरह स्वस्थ ना होना और चोट से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए शरीर में जरूरी वसा की कमी से है. लेकिन इस जोखिम के अधिकांश कारण अस्पष्ट पाए गए. शोधार्थियों का अनुमान है कि बढ़े हुए कूल्हे के फ्रैक्चर का जोखिम शाकाहारियों में प्रोटीन और अन्य प्रमुख पोषक तत्वों की कमी से संबंधित हो सकता है.

शाकाहारियों को सभी आवश्यक पोषक तत्व कैसे मिल सकते हैं?

शाकाहारी भोजन करने वाले लोगों को यह समझना चाहिए कि उन्हें अपनी डाइट में जरूरी पोषक तत्वों को कैसे शामिल करना है और शाकाहारी भोजन में किन पोषक तत्वों की कमी होने की सबसे अधिक संभावना है. उन्हें उन पोषक तत्वों के प्लांट बेस्ड विकल्प ढूंढने चाहिए जो आसानी से एनिमल बेस्ड प्रॉडक्ट्स में मिल जाते हैं.

स्टडी के लेखक जेम्स वेबस्टर ने शाकाहारी भोजन के अनगिनत फायदे गिनाते हुए कहा, ”शाकाहारी भोजन से स्वास्थ्य को ढेरों फायदे होते हैं. ये डाइट दिल और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के जोखिम को कम करती है, जाहिर है कि इससे होने वाले फायदे हर मायने में हिप फ्रैक्चर के जोखिम से बहुत ज्यादा हैं. इसके अलावा हमारी स्टडी में यह बात सामने आई कि कभी-कभार और नियमित रूप से मीट खाने वालों के बीच हिप फ्रैक्चर के जोखिम में कोई अंतर नहीं था इसलिए अगर आप अपनी डाइट से मीट का सेवन कम कर देते हैं तो इससे हिप फ्रैक्चर का खतरा नहीं बढ़ेगा बल्कि आपकी सेहत को कई लाभ ही होंगे.”

इस स्टडी में शोधार्थियों ने साफ किया कि यह एक ऑब्जर्वेशनल स्टडी थी इसलिए इसके निष्कर्ष कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे सकते. शाकाहारी भोजन से कूल्हे के फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है और ऐसा क्यों होता है, यह पुष्टि करने के लिए और  अध्ययन की जरूरत है.

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