ABC NEWS: ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे को लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भावुक हो गए. रेल मंत्री प्रभावित ट्रैक के रीस्टोरेशन को लेकर मीडिया को जानकारी दे रहे थे, लेकिन इस दौरान वह भावुक हो गए और उनका गला रुंध गया. इसी रुंधे गले से रेल मंत्री ने कहा कि बालासोर रेल एक्सीडेंट साइट पर रेल ट्रैक के रेस्टोरेशन का काम पूरा कर लिया गया है. अब दोनो तरफ (UP-DOWN) से रेल यातायात के लिए रास्ता साफ हो गया है. एक तऱफ से दिन में काम पूरा कर लिया गया था, अब दूसरी साइट का भी काम पूरा हो गया है. इसी के बाद उन्होंने रेल हादसे में लापता लोगों का जिक्र किया. रेल मंत्री ने कहा, ट्रैक पर रास्ता साफ हो गया है, लेकिन अभी हमारी जिम्मेदारी पूरी नहीं हुई है.
#WATCH | Balasore,Odisha:…”Our goal is to make sure missing persons’ family members can find them as soon as possible…our responsibility is not over yet”: Union Railway Minister Ashwini Vaishnaw gets emotional as he speaks about the #OdishaTrainAccident pic.twitter.com/bKNnLmdTlC
— ANI (@ANI) June 4, 2023
लापता लोगों को खोजना हमारा लक्ष्य
रेल मंत्री रेल मंत्री ने रोते हुए कहा, ‘हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि लापता लोगों के परिवार के सदस्य जल्द से जल्दी अपने परिजनों से मिल सकें. उन्हें जल्द से जल्द खोजा जा सके. हमारी जिम्मेदारी अभी खत्म नहीं हुई है” बता दें कि बालासोर में जहां ट्रेन हादसा हुआ था, वहां चौबीसों घंटे काम युद्धस्तर पर जारी रहा. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव लगातार घटनास्थल पर मौजूद रहे. सैकड़ों रेल कर्मी, राहत बचाव दल के जवान, टेक्नीशियन्स से लेकर इंजीनियर्स तक दिन-रात काम करते रहे.
शनिवार रात ही हटा दी गईं क्षतिग्रस्त बोगियां
हादसे के बाद घटनास्थल पर जो हालात थे, वो तेजी से बदलते रहे. पटरी पर बिखरी बोगियां शनिवार रात ही हटाकर किनारे की जा चुकी थी. हादसे के बाद दोनों एक्सप्रेस ट्रेन और मालगाड़ी के बचे हुए डिब्बे भी पटरी से हटा लिए गए. इसके बाद रविवार को दिनभर ट्रैक के रिस्टोरेशन का काम जारी रहा. इसी का नतीजा रहा कि हादसे के 51 घंटे बाद ही पहली ट्रेन का संचालन इस ट्रैक पर शुरू किया गया था. जिसे चलाकर देखा गया कि ट्रैक सही तरीके से फिट हैं या नहीं, और इसके बाद रविवार की देर रात अप और डाउन दोनों लाइनों पर रीस्टोरेशन का काम पूरा कर लिया गया. अब इस लाइन और प्रभावित ट्रैक पर ट्रेन एक बार फिर आवाजाही के लिए तैयार हैं.
रविवार रात 10:40 बजे चली पहली ट्रेन
इस बारे में अफसरों ने बताया कि, बालासोर में जिस खंड में दुर्घटना हुई थी, वहां भीषण हादसे के 51 घंटे बाद पहली ट्रेन रविवार रात करीब 10.40 चलाकर देखी गई. रेलमंत्री ने यहां से मालगाड़ी को रवाना किया. कोयला ले जाने वाली ये ट्रेन विजाग बंदरगाह से राउरकेला स्टील प्लांट की ओर जा रही है. ट्रेन ने उसी ट्रैक पर सफर किया, जिस पर शुक्रवार को बेंगलुरू-हावड़ा ट्रेन हादसे का शिकार हुई थी. इसे लेकर, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट किया था कि, “डाउन लाइन पर काम पूरा, ट्रैक को किया गया बहाल. सेक्शन पर पहली ट्रेन चलाई गई.” डाउनलाइन के ठीक होने के बमुश्किल दो घंटे बाद अपलाइन भी पूरी तरह आवाजाही के लिए तैयार हो गई.
पूरे सेक्शन पर रेल आवाजाही को सामान्य करने का प्लान
दुर्घटना प्रभावित सेक्शन की अप लाइन पर चलने वाली पहली ट्रेन एक खाली मालगाड़ी थी. यह वही ट्रैक है जिस पर कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में जाने से पहले खड़ी मालगाड़ी में जा भिड़ी थी. बताया गया कि “तीन ट्रेनें इस सेक्शन (दो डाउन और एक अप) से निकल चुकी हैं. इसके अलावा रात भर में लगभग सात ट्रेनों को यहां से गुजारने की योजना बनाई गई. इस तरह से पूरे सेक्शन पर ट्रेनों की आवाजाही नॉर्मल करनी है.
लापता लोगों को लेकर भावुक हुए रेल मंत्री
इसके पूरे कामकाज की जानकारी देते हुए जिस बात पर रेलमंत्री रो पड़े, वह लापता लोगों को लेकर था. असल में अभी तक करीब 182 शवों की पहचान नहीं हो पाई है. आलम ये है कि अस्पतालों के मुर्दाघर शवों से खचाखच भरे हैं और इस भीषण गर्मी में शवों को सुरक्षित रखना प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है. इसके लिए एक स्कूल और कोल्ड स्टोरेज को मुर्दाघर में तब्दील कर दिया गया है.
187 शवों को भुवनेश्वर किया गया शिफ्ट
हादसे के बाद बालासोर के मुर्दाघरों में जगह न होने के कारण एक स्कूल को ही मुर्दाघर बना दिया गया. यहां क्लास में शवों को रखा गया था. वहीं ओडिशा सरकार ने 187 शवों को जिला मुख्यालय शहर बालासोर से भुवनेश्वर शिफ्ट किया था. हालांकि, यहां भी जगह की कमी मुर्दाघर प्रशासन के लिए स्थिति को कठिन बना रही है. इनमें से 110 शवों को एम्स भुवनेश्वर में रखा गया है. वहीं बचे हुए शवों को कैपिटल अस्पताल, अमरी अस्पताल, सम अस्पताल आदि में रखा गया है.
ताबूत, बर्फ और फॉर्मेलिन से सुरक्षित रखे जा रहे शव
एम्स भुवनेश्वर के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि यहां शवों को सुरक्षित रखना हमारे लिए भी एक वास्तविक चुनौती है, क्योंकि हमारे पास अधिकतम 40 शवों को रखने की सुविधा है. एम्स के अधिकारियों ने शवों की पहचान होने तक उन्हें सुरक्षित रखने के लिए ताबूत, बर्फ और फॉर्मेलिन रसायन खरीदे हैं. गर्मी के इस मौसम में शवों को रखना वास्तव में मुश्किल है.