ABC NEWS: संवेदनाओं का ह्रास देखना हो तो कानपुर के हैलट अस्पताल चले आइए. सिर्फ वार्ड से लेकर इमरजेंसी तक नजरें भर दौड़ानी होंगी. बुधवार का दिन भी हैलट के डॉक्टरों और स्टाफ की कठोरता की गवाही दे गया जब एक पिता अपनी फूल सी लाडली को गोद में लेकर बाल रोग विभाग की तरफ दौड़ता दिखाई दिया. ऐसा एक नहीं कई मरीजों के साथ हाल हो रहा है. मरीजों के लिए स्ट्रेचर या व्हील चेयर भी नहीं है। वहीं डॉक्टर भी मरीजों को देखने में लापरवाही कर रहे हैं.
कन्नौज की छिबरामऊ तहसील के जखहा गांव निवासी सुधीर पाल पांच साल की बेटी प्रियंका को हैलट लेकर शनिवार को आए. मासूम के लिवर में बायीं ओर गांठ थी. इमरजेंसी के बाद बाल रोग विभाग के वार्ड दो में प्रियंका का ऑपरेशन किया गया. करीब आधे घंटे बाद डॉक्टरों ने सुधीर से प्रियंका को बाल रोग विभाग दोबारा ले जाने को कहा. पेशे से मजदूर सुधीर ने वहां मौजूद जूनियर डॉक्टर से स्ट्रेचर के बारे में पूछा तो सीधे झिड़कते हुए बोला कि ले जाना है तो ले जाओ वरना ये यहीं पड़ी रहेगी.
15 से 20 मिनट तक भटकने के बाद भी स्ट्रेचर न मिला तो सुधीर प्रियंका को गोद में लेकर बाल रोग विभाग की ओर चल पड़ा. बिटिया रो रही थी। एक हाथ में उसके पेट में पड़ी नली तो दूसरे में पेशाब की थैली भी संभालनी थी. प्रमुख अधीक्षक हैलट, डॉ आरके सिंह ने कहा कि मामला संज्ञान में नहीं है. मरीज को स्ट्रेचर नहीं देने की बात बेहद गंभीर है। जांच करा जो भी जिम्मेदार होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी.
पानी को तड़पी प्रियंका, नौ घंटे बाद डॉक्टर ने देखा
प्रियंका बाल रोग विभाग के कमरा नंबर 111 में बेड छह में भर्ती है. मां पायल अपने पांच माह के बेटे को लेकर प्रियंका को टकटकी निगाहों से बस देखती रहती है. दादी सावित्री देवी ने बताया कि ऑपरेशन के बाद बच्ची प्यास के कारण तड़पती रही. करीब तीन घंटे बाद एक नर्स ने पानी दिया. सुधीर ने बताया कि शाम साढ़े आठ बजे एक डॉक्टर आए तो उन्होंने प्रियंका को कुछ खाने के लिए बोला.
प्रमुख सचिव तक दे चुके चेतावनी
उर्सला की इमरजेंसी में भर्ती मां के इलाज को बिलखती युवती व मरीजों के बीच सोते कुत्ते का मामला उछला तो स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा को संज्ञान लेना पड़ा था. अस्पताल प्रबंधन को चेतावनी तक देनी पड़ी.