शिवली थाने के मालखाने में 21 साल से कैद हैं लड्डू गोपाल, केवल जन्माष्टमी पर देते हैं दर्शन

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ABC NEWS: ( भूपेंद्र तिवारी ) आपको यह जानकार भले यकीन हो या नहीं पर यह हकीकत है कि कानुपर देहात के शिवली में लड्डू गोपाल आज भी कैद में हैं. हर जन्माष्टमी को वह कैद से निकाले जाते हैं. उन्हें स्नान करा कर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं. पूजा होती है. ग्रामीण भी अपने ईष्ट के दर्शन करने व भोग लगाने पहुंचते हैं. सुबह वे फिर कैद कर दिए जाते हैं. लड्डू गोपाल, भैया बलदाऊ व किशोरीजू के साथ कैद है. 200 साल पुराने मंदिर के लड्डू गोपाल को कैद से छुड़ाने को मुकदमा विचाराधीन है। कैद नंदलाल को बाहर आने के लिए कानूनी आदेश का इंतजार है.

कानपुर शहर के कल्याणपुर से लगे कानपुर देहात सीमा के शिवली थाने में रखे लड्डू गोपाल के विग्रह की सुरक्षा पुलिस 22 साल से कर रही है. मंदिर के सर्वराकार आलोक चतुर्वेदी बताते है  कि 12 मार्च 2002 को शिवरात्रि थी। शिवली में रात को आयोजन हुए. जगह-जगह शिवरात्रि की धूम मची थी. मंदिर से थोड़ी दूर पर ओम नम: शिवाय पाठ हो रहा था. देर रात 11 बजे के आसपास मैं मंदिर गया था. सब कुछ ठीक था। सर्दी लग रही थी. बुखार महसूस होने पर घर सोने चले गया.

सुबह उठा तो मंदिर के पीछे सुबह 5 बजे मंदिर के द्वार पर हमेशा रहने वाला कुत्ता बेहोश पड़ा था. दौड़ कर मंदिर गया तो चैनल का ताला टूटा था. अंदर का भी ताला टूटा था। लड्डू गोपाल समेत सभी विग्रह गायब थे. यह देखकर सन्न रह गया। लगा कि अब दामन पर दाग लग जाएगा. भगवान का नाम लेकर ग्रामीणों को बुलाकर सूचना दी. ग्रामीण इकट्ठा हो गए. पुलिस के खिलाफ रोष पनपने लगा। ग्रामीण हंगामा करने लगे.

अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई 
उस समय एसपी ग्रामीण डीके ठाकुर थे। शिवली के थानेदार राजुल गर्ग थे. पुलिस ने हर हाल में वारदात खोलने का भरोसा दिलाया था। यह शक था कि कोई अष्टधातु की मूर्तियां चोरी करने वाला गिरोह होगा. पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की. ताबड़तोड़ दबिशें पड़ने लगीं. कस्बे व आसपास के जिलों तक के अपराधी उठाए गए राज नहीं खुला.

नौवें दिन खुला चोरी का राज 
चोरी के नौवें दिन वारदात में शामिल एक चोर अचानक पुलिस के संपर्क में आया. उसने चोरी का राज खोला तो होश उड़ गए. गांव के ही तीन लोगों का चोरी में हाथ था. इनमें से एक चोरी के बाद विग्रह चोरी के पापबोध से घबरा गया. उसने प्रतिमाएं जहां केी तहां रखने की बात कही तो बाकी दोनों चोर उसे हत्या करने की धमकी देने लगे.

डरकर वह पुलिस की शरण में चला गया. इस मामले में गांव के शिवकांत, चौबेपुर के ताड़िकापुर गांव के देवशरण समेत तीन लोगों को पुलिस ने दबोचा. उनकी निशानदेही पर पास के तालाब से बलदाऊ, किशोरीजू की मूर्तियां मिल गई. लड्डू गोपाल की मूर्ति घूरे में दबा दी गई थी. यह मूर्ति भी बरामद हो गई. छोटी-छोटी दो राधा व श्रीकृष्ण की मूर्तियां भी बरामद हो गईं.

सबसे भारी बलदाऊ की मूर्ति 
यह मूर्तियां अष्टधातु की है। मंदिर 200 साल से ज्यादा पुराना है. सबसे ज्यादा वजनी मूर्ति बलदाऊजी की (21 किलो) है. श्रीराधा-कृष्ण की मूर्ति का वजन 19-19 किलो है. पांच-पांच किलो की श्रीकृष्ण व राधा की दो अन्य मूर्तियां है.

260 तारीखें पड़ चुकींं, फैसला नहीं हुआ 
सर्वराकार आलोक का कहना है कि मूर्ति को रिलीज कराने का प्रयास होता रहता है. मुकदमे में अब तक 260 से ज्यादा तारीख पड़ चुकी है। मंदिर पूरी तरह से जर्जर हो गया है. अब मंदिर में कोई जाता भी नहीं है। देखरेख न होने से अंदर का हिस्सा गिराऊ हो गया है.

पुलिस हर साल करती है पूजा, लगता है भोग 
जन्माष्टमी पर पुलिस कर्मचारी मूर्तियों को बाहर निकालते है. विग्रह का जलाभिषेक किया जाता है। वस्त्र बदले जाते हैं. हर साल भोग लगता है। पुलिस कर्मचारी पूजन के बाद फिर से मालखाने में सभी विग्रह रख देते हैं. इस बार शिवली के थानेदार शिवनारायण सिंह ने पूजा की तैयारी की है.

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