सनातन धर्म में कार्तिक का महीना बहुत खास माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये महीना विष्णु जी को अत्यंत प्रिय होता है. ये महीना अक्टूबर-नवंबर के बीच पड़ता है. कार्तिक माह में श्री हरि योग निद्रा से जागते हैं. कहा जाता है कि इस महीने में भगवान विष्णु और मां लक्षमी की उपासना करने से जीवन में सुख-शांति रहती है और आर्थिक समस्याओं का निवारण होता है. आइए जानते हैं इस साल कब से कार्तिक महीना शुरू हो रहा है और इस मास के सभी प्रमुख व्रत-त्योहार की लिस्ट.
18 अक्टूबर सेशुरू हो रहा है कार्तिक मास 2024
साल 2024 में कार्तिक महीने की शुरुआत 5 दिन बाद यानी 18 अक्टूबर से हो रही है. वहीं, इसका समापन 15 नवंबर को होगा. दान कार्य, स्नान अनुष्ठान और उपवास करने के लिए ये महीना बहुत खास माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास में पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में खुशियों का वास होता है.
कार्तिक माह के व्रत और त्योहारों की लिस्ट
तारीख, दिन, व्रत-त्योहार
20 अक्टूबर, रविवार, करवा चौथ
21 अक्टूबर, सोमवार, रोहिणी व्रत
24 अक्टूबर, बृहस्पतिवार, अहोई अष्टमी
28 अक्टूबर, सोमवार, रामा एकादशी
29 अक्टूबर, मंगलवार, प्रदोष व्रत , धनतेरस
30 अक्टूबर, बुधवार , काली चौदस
31 अक्टूबर, बृहस्पतिवार, नरक चतुर्दशी , छोटी दिवाली
01 नवंबर, शुक्रवार, अमावस्या, दिवाली
02 नवंबर, शनिवार, गोवर्धन पूजा , अन्नकूट
03 नवंबर, रविवार, भाई दूज
07 नवंबर, बृहस्पतिवार,छठ पूजा
09 नवंबर, शनिवार , दुर्गाष्टमी व्रत , गोपाष्टमी
10 नवंबर, रविवार, अक्षय नवमी
12 नवंबर, मंगलवार, प्रबोधिनी एकादशी
13 नवंबर, बुधवार, प्रदोष व्रत , तुलसी विवाह
15 नवंबर, शुक्रवार, कार्तिक पूर्णिमा व्रत , गुरु नानक जयंती
जरूर करें भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती
भगवान विष्णु जी की आरती
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।
मां लक्ष्मी की आरती
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥