ABC NEWS: स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग में कानपुर शहर पिछड़ गया. शहर में सड़कों पर भारी मात्रा में कचरा फैला हुआ था. कई इलाके ऐसे हैं, जहां से कूड़ा कई दिनों से नहीं उठा है. 2018 में स्वच्छता अभियान का असर हुआ तो टॉप 100 शहरों में रैंकिंग 65वें पर आ गई. 2019 में 63वें पर ही पहुंच पाया। 2020 की रैंकिंग में बड़ा उछाल आया था. कानपुर देश में 10 लाख से ज्यादा की आबादी वाले नगर-निगम में टॉप 25 में पहुंचा था. 2021 में सिर्फ 4 अंकों के सुधार संग 21वें स्थान पर पहुंच सका. इस बार शहर की रैंकिंग लुढ़ककर साल 2020 की रैंकिंग से भी नीचे 29वें पायदान तक पहुंच गई.
वाहनों की कम संख्या भी बड़ी वजह
कूडा उठाने के वाहन भी कम है। शहर में 68 वाहन मौजूद हैं जबकी, जरूरत 90 वाहनों की है. इसके कारण दोपहर तक कूड़ा उठता रहता है. इस कारण सड़क पर गंदगी फैली रहने के कारण लोगों को आने-जाने में दिक्कत होती है. अविकसित इलाकों में कूड़ा कई बार नहीं उठ पाता है.
न्यू सिविल लाइंस, बादशाही नाका, हीरागंज, यशोदानगर, गोपाल नगर, पनकी, रामादेवी , जरौली, गुजैनी, दबौली, रावतपुर गांव, मिर्जापुर, कल्याणपुर कला-खुर्द, अशोक नगर खलवा और गुबा गार्डन समेत कई इलाकों में गंदगी फैली रहती है. शहर में रोज करीब 13 सौ टन कूड़ा जनरेट होता है. करीब 12 सौ 50 टन कूड़ा ही नगर निगम उठा पाता है.
आधुनिक कचरा पार्क की शुरुआत
कंपनी बाग चौराहा और फूलबाग सब्जी मंडी में नगर निगम द्वारा तैयार किया गया. आधुनिक कचरा पार्क रविवार को महात्मा गांधी की जयंती पर चालू कर दिया गया. खास तौर पर बनाए गए, इस पार्क में बाहर से कहीं भी कचरा नहीं दिखेगा. अंडर ग्राउंड डस्टबिन बनाई गई है. जैसे ही इसमें कूड़ा भरेगा वैसे ही अलार्म बजने लगेगा. महापौर प्रमिला पांडेय ने बताया, “स्वच्छता रैंकिंग के बाद समीक्षा की जाएगी.”
नगर निगम के पास संसाधन
कूड़ा वाहन-68
जरूरत-90
सफाई कर्मचारी – 56 सौ
जरूरत – 10 हजार
कुल वार्ड – 110
शहर में मकान – 4 लाख 65 हजार