ABC News: पिपौरी गांव में जलाने की लकड़ी और चरागाह की जमीनों का पट्टा लिखाकर सरकारी जमीन बेचने वाले अब भूमाफिया घोषित किए जाएंगे. भूमाफिया की कार्रवाई के लिए तहसील स्तर पर संस्तुति कर रिपोर्ट एडीएम वित्त एवं राजस्व को भेज दी गई है. यहां 30 लोगों ने 63 बीघा जमीन का पट्टा करा लिया था.
एक दिन पहले ही जिलाधिकारी ने सभी पट्टे निरस्त किए हैं. जिन्हें जमीन का पट्टा मिला था उन्होंने जमीन को बेच दिया जिसके बाद यहां अवैध निर्माण हो चुके हैं. इन पर रिपोर्ट दर्ज कराने की तैयारी भी चल रही है. वहीं इन जमीनों का पट्टा करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी गाज गिरेगी. पट्टा करने में जो अधिकारी कर्मचारी शामिल रहे हैं उनके नाम की तलाश शुरू हो गई है. एसडीएम सदर ने पट्टा करने वालों को खोजने की जिम्मेदारी तहसीलदार सदर को सौंपी है. पूर्व एसडीएम ने मेहरबान सिंह का पुरवा स्थित पिपौरी में 63.414 बीघा सरकारी जमीन ढूंढी थी. राजस्व अभिलेखों में यह जमीन जलाने की लकड़ी और चरागाह के रूप में दर्ज थी. पूर्व एसडीएम हिमांशु नागपाल ने एक शिकायत पर जांच करायी तो सच सामने आ गया. 24 दिसंबर 1975 में उक्त जमीनों का पट्टा 30 लोगों को दिया गया था. फर्जी आदेश से इसे राजस्व रजिस्टर आर-6 में दर्ज करा दिया गया लेकिन जब पट्टे संबंधी दस्तावेज ढूंढे गए तो वह अभिलेखागार में नहीं मिले. जिसके बाद एसडीएम ने उक्त जमीनों का पट्टा निरस्त कर इसे सरकारी खाते में दर्ज करने की संस्तुति की थी. एसडीएम की संस्तुति पर मंगलवार को जिलाधिकारी विशाख जी ने सभी पट्टे निरस्त कर दिए थे. बुधवार को जमीन सरकारी खाते में दर्ज कर दी गयी है.