ABC News: (रिपोर्ट: सुनील तिवारी) कानपुर में महापौर पद की सीट सामान्य होने के बाद अब हर किसी की नजर पार्टी के दावेदारों में है. बात कानपुर की करें तो यहां पर मुकाबला हमेशा भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहा है. यही वजह है कि इन दोनों पार्टियों में महापौर पद का चेहरा कौन होगा, इसको लेकर हर किसी की उत्सुकता तेज हो गई है. पिछली बार ऐन मौके पर महिला सीट होने की वजह से प्रमिला पांडेय बाजी मार ले गई थीं लेकिन इस बार यह सीट सामान्य है, ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रमिला पांडेय दोबारा टिकट पाती हैं या फिर मोतीझील पहुंचने की लड़ाई में कोई और बाजी मार ले जाता है.
कानपुर में महापौर पद का आरक्षण सामान्य होते ही विभिन्न दलों के दावेदारों का उत्साह हिलोरें मारने लगा है. इसमें भी भाजपा में सबसे ज्यादा दावेदार सामने आने लगे हैं. आरक्षण की सूची आने के बाद सोशल मीडिया पर जिस तरह से उसकी फोटो शेयर का दावेदारों ने अपने उत्साह का परिचय दिखाया, वह आने वाले दिनों की दावेदारी के संकेत अभी से देने लगा है. कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में तो दावेदार अपने नामों की चर्चा भी छेड़ने लगे हैं लेकिन भाजपा में कहावत है कि जो चर्चा में होता है, वह टिकट की तस्वीर में नहीं होता. यही नहीं, पिछले महापौर चुनाव में प्रमिला पांडेय को टिकट देकर भाजपा ने सामान्य कार्यकर्ता को तरजीह देने का संदेश दिया था, ऐसे में इस बार उसके इस फॉमूले पर भी निगाह लगी हुई है. चूंकि, निकाय के बाद अब 2024 में सीधे लोकसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में तैयारी इसी बात की है कि बिसात ऐसी बिछायी जाए, जिससे सेमीफाइनल में न केवल अपनी ताकत परखी जाए, बल्कि कहां कहां पर कमजोरी है, उस पर भी काम कर लिया जाए.
वहीं, कांग्रेस में भी कई दावेदार हैं, लेकिन चर्चा है कि इस बार संगठन से जुडे किसी चेहरे को तरजीह दी जा सकती है. युवा चेहरों पर भी पार्टी का फोकस है. महापौर चुनाव में कांग्रेस काफी प्रभावी होकर लड़ती है, ऐसे में जातिगत फैक्टर भी बहुत महत्वपूर्ण हो गया है. वहीं, सपा और बसपा में फिलहाल उतनी तेजी नहीं देखी जा रही है. कानपुर में समाजवादी पार्टी का नगर संगठन ही तैयार नहीं हो पाया है. माना जा रहा है कि उपचुनावों के बाद सपा और बसपा अपने चेहरों पर मंथन कर जल्द ही ऐलान कर सकते हैं.