ABC News: हजरत मखदूम शाह आला का 764वां उर्स मुबारक रविवार को अकीदत और एहतराम से मनाया गया. इस मौके पर मुल्क में अमन और मदरसों की हिफाजत की दुआएं की गईं. मौलाना हाशिम अशरफी ने दुआओं में दहशतगर्दी के खात्मे और तालीम पर जोर दिया. सभी बीमारों की सेहत और शिफा के लिए हाथ फैलाए. लाखों अकीदतमंद इस मौके पर मौजूद थे.
सुरक्षा की चुस्त व्यवस्था के बीच ड्रोन से भी निगरानी की जा रही थी. इससे पहले जाजमऊ स्थित दरगाह में ईद मिलादुन्नबी की महफिल से इसका आगाज हुआ. बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने शिरकत की. मौलाना जाहिर हुसैन कादरी ने हजरत मखदूम शाह आला की जिंदगी से जुड़ी जिंदगी के बारे में बयान किया. अन्य वक्ताओं ने कहा कि आपकी पैदाइश ईरान में हुई थी. उच्च शिक्षा के लिए बगदाद का सफर किया. फिर ईरान लौटे और बाद में दिल्ली होते हुए कानपुर आ गए. यहां क्रूर ताकतों को खत्म किया. इसके बाद पूरे इलाके में अमन हो गया. इसके बाद महफिले समां की शुरुआत हुई जिसमें कव्वाल महबूब ताज, रऊफ चिश्ती, परवेज मखदूमी, ताज आलम ताज और कल्लू ने महफिल को नूरानी बना दिया. यह सिलसिला सुबह तक जारी रहा. सरपरस्त इरशाद आलम और सज्जादानशीन अदनान राफे ने शुक्रिया अदा किया.