ABC News: वायरल फीवर डेंगू से बड़ा खतरा बन रहा है. इस वायरल संक्रमण की चपेट में आने वाले रोगियों के लिवर, गुर्दों और सांस तंत्र में खराबी आने लगती है. इसके बाद रोगी वायरल सेप्टीसीमिया में चला जा रहा है. गुरुवार को ऐसे ही एक बच्चे समेत तीन रोगियों की मौत हो गई. इन्हें बुखार आया और उसके बाद निमोनिया हो गया.
एक दिन पहले भी दो मरीजों की मौत हुई थी. वहीं डेंगू से इस सीजन में चार मौतें हुईं हैं. पैथोलॉजिकल जांच में इन मरीजों के गुर्दा, लिवर खराब होने की भी रिपोर्ट आई. प्लेटलेट्स काउंट भी सामान्य से कम था, लेकिन डेंगू और कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव थी. इसके अलावा हैलट, उर्सला की ओपीडी में वायरल फीवर के रोगी जटिल लक्षणों के साथ आए. जिन रोगियों की हालत गंभीर थी, उन्हें इमरजेंसी में भर्ती किया गया. इसके साथ ही निजी अस्पतालों में रोगी भर्ती हैं. कई रोगियों की डायलिसिस की जा रही है. श्यामनगर की रहने वाली शकुंतला देवी (67) के शरीर में वायरल संक्रमण फैल जाने के बाद लालबंगला के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई. उनके बेटे रतन ने बताया कि उन्हें तीन दिन पहले बुखार आया. इसके बाद पेशाब रुक गया और सांस लेने में दिक्कत होने लगी. इसी तरह रामादेवी क्षेत्र के रहने वाले आशुतोष सोनकर (40) की बुखार के बाद मौत हुई है. पत्नी रामसखी ने बताया कि वह दो दिन पहले दिल्ली से लौटे थे. उन्हें बुखार था. पैथोलॉजिकल जांच में सीरम क्रेटेनिन दो आई है. साथ ही लिवर में सूजन भी थी. आजादनगर के रेलकर्मी विनोद के डेढ़ साल के बेटे की फीवर के बाद मौत हुई. उसे वायरल निमोनिया हो गया. एक्सरे रिपोर्ट में निमोनिया के पैच आए. उसे हैलट रेफर करके वेटिंलेटर पर रखने की सलाह दी गई थी. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पूर्व मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि इस बार वायरल फीवर में गुर्दा, लिवर और फेफड़ों पर बहुत जल्दी असर आ रहा है. कुछ रोगियों की डायलिसिस करानी पड़ रही है. रोगी ने देर की तो सेप्टीसीमिया की स्थिति में पहुंच जा रहा है. हैलट के फीवर क्लीनिक और संचारी रोग प्रभारी डॉ. बीपी प्रियदर्शी ने बताया कि हैलट में बुखार के 40 रोगी भर्ती हैं. इसके अलावा उर्सला, कांशीराम में भी बुखार के रोगियों को भर्ती किया गया है.