ABC NEWS: (भूपेंद्र तिवारी ) कानपुर में गुरुवार को नगर आयुक्त जीएन शरणप्पा ने नगर निगम कर्मचारियों की भर्ती से संबंधित 13 साल पुराने मुकदमे में श्रमायुक्त के आदेश का पालन न करने मामले में कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. नगर आयुक्त जीएन शरणप्पा ने अपने अधिवक्ता के साथ सीएमएम कोर्ट में समर्पण किया. कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश को न मानने पर कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था.
मिली जानकारी के अनुसार गैर जमानती वारंट के बावजूद कोर्ट में हाजिर न होना नगर आयुक्त को भारी पड़ा है. लगभग एक महीने पहने सीएमएम सूरज मिश्रा ने सख्त टिप्पणी के साथ पुलिस कमिश्नर आयुक्त को पत्र भेजा था. इसकी प्रति जिलाधिकारी को भी भेजी गई थी.
कोर्ट ने माना कि नगर आयुक्त के प्रभाव और प्रशासनिक दबाव के कारण पुलिस कोर्ट के वारंट को कानूनी तौर पर तामील नहीं करा पा रही है और जानकारी के बावजूद नगर आयुक्त जानबूझकर कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे हैं. इस पर कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को वारंट की तामीली के लिए पत्र भेजा है.
25 कर्मचारियों को 2006 में सेवा से हटा दिया गया था
पत्र में कहा था कि पुलिस कमिश्नर एक सक्षम उच्चस्तर के अधिकारी को निर्देशित कर नगर आयुक्त जैसे उच्च पद पर आसीन आईएएस अधिकारी को गिरफ्तार करके चार अक्तूबर तक न्यायालय में पेश करें. नगर निगम में कार्यरत कपिलमुनि सिंह समेत 25 कर्मचारियों को वर्ष 2006 में सेवा से हटा दिया गया था.
श्रमायुक्त ने दिए थे कर्मचारियों की बहाली के आदेश
श्रमायुक्त ने वर्ष 2010 में इन कर्मचारियों की बहाली के आदेश दिए थे, लेकिन आदेश का पालन न होने पर सीएमएम कोर्ट में वाद दाखिल किया गया था. नगर आयुक्त के कोर्ट में हाजिर न होने पर 22 जून 2023 को गैर जमानती वारंट जारी हो गया था. अधिवक्ता ने वारंट निरस्त करने के लिए अर्जी दी थी, लेकिन खारिज कर दिया गया था.