ABC News: इस बार मार्च में ही गंगा की जो तस्वीर दिखाई दे रही है, वह न केवल पर्यावरण की दृष्टि से बड़ा संकेत दे रही है बल्कि गर्मियों में होने वाली शहर की वॉटर सप्लाई को लेकर भी खतरे की घंटी बजा रही है. हालत यह है कि गंगा की धार बिल्कुल सिकुड़ती जा रही है और भैरोघाट पंपिग स्टेशन में लगे जलकल विभाग के ड्रेजरों ने अभी से हांफना शुरू कर दिया है. ऐसे में जलस्तर और नीचे आया तो पानी का संकट गहरा सकता है.
बता दें कि भैरोंघाट पंपिग स्टेशन से जलकल विभाग 20 करोड़ लीटर पानी की सप्लाई एक तिहाई से अधिक शहर में करता है. ऐसे में गंगा का जलस्तर मार्च में ही 356.5 फीट पर आ चुका है. जलस्तर में आ रही गिरावट से जलकल विभाग के अफसरों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंची हुई हैं. मुश्किल यह है कि अभी मार्च का महीना चल रहा है. अप्रैल, मई और जून में हालात और मुश्किल हो सकते हैं. इसे देखते हुए गंगा की धारा को इस पंपिंग स्टेशन की तरफ मोड़ने के लिए बंधा बनाने की तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं. जल्द ही इसके लिए टेंडर कराए जा सकते हैं. जलकल विभाग के अवर अभियंता रविकांत ने बताया कि यदि गंगा का जलस्तर 355 फीट पर आ जाता है तो पंपिंग स्टेशन में लगे पंपों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाएगा. इससे पंप के बंद होने या फुंकने की आशंका रहती है. इस स्थिति से बचने के लिए गंगा में बंधा बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. बंधा बन जाने से गंगा की धार को पंपिंग स्टेशन की ओर मोड़ा जा सकेगा.