ABC News: धूप से बचने की आदत बच्चों को भारी पड़ रही है. घनी बस्तियों या फ्लैटों में रहने वाले बच्चों की हड्डियां नर्म और कमजोर हो रही हैं. धूप की कमी से यह बच्चे तेजी से रिकेट्स (सूखा रोग) की चपेट में आ रहे हैं. कोरोना के दौरान बाहर निकलने की आदत कम हुई तो ऐसे बच्चों की संख्या प्री-कोरोना काल से तीन गुनी हो गई है. ऐसे कुछ बच्चों के अभिभावक बिना डॉक्टर की सलाह के उन्हें विटामिन डी दे रहे हैं, जिससे वे हाइपर विटामिनोसिस डी के शिकार भी बन रहे हैं.
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के आर्थो विभाग की स्टडी में यह तथ्य सामने आए हैं. तीन साल तक चली स्टडी में रिकेट्स प्रभावित 270 बच्चे लिए गए. यह क्रास सेक्शनल स्टडी थी जिसमें सबसे कम उम्र का बच्चा सात साल तो सबसे ज्यादा उम्र का बच्चा 15 साल का रहा. बच्चों में रिकेट्स की शुरुआत का अंदाजा तब लगा, जब उनमें मांसपेशियां कमजोर होकर दर्द का अहसास कराने लगीं. स्टडी में लिए गए बच्चों में से 56 को प्रयोग के तौर सुबह 10-11 बजे के बीच कम से कम आधे घंटे धूप में खेलने की एडवाइजरी दी गई तो उनमें 45 दिन के बाद मांसपेशियों के दर्द में कमी दर्ज की गई. स्टडी में सामने आया कि रिकेट्स के शिकार 270 बच्चों में 47 फीसदी की टांगे इतनी कमजोर और मुलायम हो गईं कि उनका एलाइनमेन्ट सीधे की बजाए कर्व लेने लगा और टांगे टेढ़ी हो गईं. 53 फीसदी बच्चों में मांसपेशियों में कमजोरी, मेरुदण्ड में असामान्य टेढ़ापन मिला.
यह मानक है
हर दिन हर किसी को 600-1000 आईयू (इंटरनेशनल यूनिट) विटामिन डी लेना चाहिए. इससे शरीर स्वस्थ रहता है और विटामिन डी की कमी नहीं होती है. इतनी आईयू पाने के लिए सुबह 11 बजे से पहले की धूप प्रभावी होती है.
स्टडी की खास बातें
-रिकेट्स के शिकार सभी बच्चे घनी आबादी या फ्लैट्स के निवासी. 73.10 प्रतिशत बच्चे शाम और रात में बाहर निकलते हैं. धूप से बचने की कोशिश करते हैं.
-छोटे बच्चों की हड्डियों में ग्रोथ के समय विटामिन डी की कमी से हड्डियों में कैल्शियम का जमाव साइकिल गड़बड़ मिला. रिकेट्स पीड़ित 41 फीसदी बच्चों में नॉक नी (घुटने का अंदर की तरफ झुकाव) भी मिला.
-28 फीसदी बच्चों को अभिभावकों ने बिना विशेषज्ञ की सलाह के विटामिन डी की टेबलेट दी. उनमें से 04 फीसदी में अधिक विटामिन डी लेने के कारण हाइपर विटामिनोसिस डी की बीमारी भी मिली.
-अक्तूबर 2021 के बाद से रिकेट्स के शिकार बच्चों में तीन गुना का इजाफा आर्थों विभाग में दर्ज किया गया. प्री-कोरोना रोज एक-दो ऐसे बच्चे आते थे, पोस्ट कोरोना यह संख्या छह-सात तक पहुंच गई है.
अंक गणित
– 270 सूखा रोग से ग्रस्त बच्चों पर स्टडी
– 47% बीमार बच्चे टांगे टेढ़ी पर लाए
– 53% बच्चों की मांसपेशियों में कमजोरी
– 94%बच्चों की कलाई, घुटने, टखने की हड्डियां मोटी मिलीं
– 56 बच्चों को कुछ देर की धूप से हुआ बड़ा लाभ
– 73.10% धूप में खेलने के बजाय फोन, टीवी, लैपटॉप देखने वाले।
– 26.9 %में धूप में कुछ समय गुजारने की आदत मिली।