Kanpur: देवेंद्र सिंह भोले ने यूं ही नहीं कहा था टिकट मेरी जेब मेें है, जानें नेतृत्व के पैमाने पर कैसे खरे बैठे

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ABC News: (रिपोर्ट: सुनील तिवारी) अकरबपुर लोकसभा से एक बार फिर सिटिंग सांसद देवेंद्र सिंह भोले पर भाजपा ने विश्वास जताया है. टिकट मिलने से करीब 10 दिन पहले सांसद देवेंद्र सिंह भोले का एक बयान भी खूब वायरल हुआ था, जिसमें मीडिया के सवालों पर उन्होंने दो टूक कहा था कि टिकट मेरी जेब मेें है. मैं मुंगेरी लाल के हसीन सपने नहीं देखता हूं.

दरअसल, भाजपा ने लोकसभा प्रत्याशियों की अपनी पहली सूची जारी की है, उसमें अकबरपुर लोकसभा सीट पर वर्तमान सांसद देवेंद्र सिंह भोले पर फिर से विश्वास जताया है. टिकट घोषित होने से पहले इस बात के जमकर कयास लगाए जा रहे थे कि 70 प्लस फॉर्मूले की वजह से इस बार अकबरपुर और कानपुर लोकसभा पर क्रमश: देवेेंद्र सिंह भोले और सत्यदेव पचौरी का टिकट कट सकता है. यही वजह थी कि बिठूर विधानसभा से विधायक अभिजीत सिंह सांगा और कारोबारी शैलेंद्र सिंह भदौरिया इस सीट पर पूरा जोर लगाए थे. इन सबके बीच करीब 10 दिन पहले जब टिकट को लेकर सांसद भोले से सवाल किए गये थे तब उन्होंने दो टूक कहा था कि टिकट मेरी जेब मेें है. मैं मुंगेरी लाल के हसीन सपने नहीं देखता हूं. उनके इस बयान ने जमकर लाइमलाइट बटोरी थी, कुछ लोगों ने इसको लेकर चुटीली प्रतिक्रियाएं भी व्यक्त की थीं लेकिन जिस तरह से भाजपा ने अपने पुराने चेहरे पर विश्वास जताया, उसको लेकर अब कहा जा रहा है कि संभवत: नेतृत्व की तरफ से भोले को पहले ही ग्रीन सिग्नल मिल चुका था.

क्या सीएम योगी से नजदीकी काम आयी
देवेंद्र सिंह भोले के टिकट के पीछे भाजपा से जुड़े लोग बताते हैं कि उनकी सीएम योगी आदित्यनाथ से काफी नजदीकी है. भोले के करीबी भी इस बात को कह रहे हैं कि इस नजदीकी का उन्हें फायदा मिला है, तभी तो 70 प्लस के फॉर्मूले से समझौता करते हुए बीजेपी ने उनके नाम का ऐलान कर दिया. इसके अलावा भोले की गैर विवादित छवि भी उनके पक्ष में गई. नमो ऐप के सर्वे ने भी उनके नाम का ऐलान करने में बड़ी भूमिका अदा की है.
बड़े टारगेट की वजह से रिस्क नहीं
भाजपा के अंदर इस बात की चर्चा भी बड़ी है कि बीजेपी ने इस बार 400 सीटें जीतने का जो प्लान बनाया है, उसमें वह ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती, जिससे कि कोई विवाद पैदा हो सके. अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र में क्षत्रिय वोटों की भी बहुतायत है, ऐसे में भोले का टिकट काटकर किसी युवा चेहरे को टिकट दिया जाता, तो हो सकता है कि उसका संदेश उल्टा जाता. ऐसे में पुराने और टिकाऊ चेहरे को ही भाजपा नेतृत्व ने अपने लिए मुफीद माना. अकबरपुर ही नहीं बल्कि कानपुर के अगल बगल की लोकसभा सीटों पर पार्टी ने अपने सिटिंग सांसदों को ही टिकट दिया है. इसमें कन्नौज से सुब्रत पाठक, मिश्रिख से अशोक कुमार रावत, उन्नाव से साक्षी महाराज के नाम प्रमुख हैं.

अब सत्यदेव पचौरी पर टिकी निगाहें
कानपुर के पड़ोस की चार लोकसभा सीटों पर सिटिंग सांसदों को फिर से टिकट मिलने के बाद कानपुर लोकसभा से सांसद सत्यदेव पचौरी के राजनीतिक भविष्य की अटकलें तेज हो गई हैं. दरअसल, दोपहर तक कई मीडिया रिपोर्टों में इस बात का दावा किया गया कि सांसद पचौरी का टिकट कट गया है लेकिन पहली सूची में भाजपा ने कानपुर लोकसभा का नाम शामिल नहीं किया है. ऐसे में अब इस बात के कयास लगने लगे हैं कि क्या कानपुर में फिर से पचौरी नेतृत्व का चेहरा बनेंगे, क्योंकि नमो ऐप सर्वे में पचौरी शुरूआती तीन स्थान पर शामिल रहे. वैसे चर्चा मालिनी अवस्थी से लेकर पूर्व डिप्टी सीएम और राज्यसभा सदस्य डॉ. दिनेश शर्मा की भी है लेकिन वर्तमान हालातों को देखकर अगर पचौरी फिर से बाजी मार ले जाएं तो कोई अचरज नहीं होगा.

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