ABC NEWS: बैंक लॉकर को लेकर आम लोगों के मन में यही धारणा है कि बैंक इसकी कोई गारंटी नहीं लेता है लेकिन ऐसा नहीं है, राज्य उपभोक्ता फोरम ने कानपुर की यशोदा नगर यूनियन बैंक लॉकर डकैती मामले में 9 पीड़ितों को 10-10 लाख रुपए जुर्माना देने का आदेश दिया है. पीड़ितों का दावा है कि देश का यह पहला ऐसा मामला है, जिसमें कोर्ट ने बैंक को लॉकर टूटने का दोषी मानते हुए हर्जाना देने का आदेश दिया है.
डकैतों ने 32 लॉकर काटकर उड़ाया था 13 किलो सोना
कानपुर की यूनियन बैंक यशोदा नगर ब्रांच में 18 फरवरी 2018 को बैंक में डाका पड़ गया था. तीन दिन की छुट्टी के दौरान बदमाशों ने बैंक के 32 लॉकर काटकर करोड़ों रुपए का करीब 13 किलो सोना उठा ले गए थे. मामले में नौ पीड़ितों ने यशोदा नगर निवासी सिंचाई विभाग से रिटायर असिस्टेंट इंजीनियर सुशील कुमार शुक्ला की अगुवाई में राज्य उपभोक्ता फोरम में न्याय की गुहार लगाई थी.
करीब साढ़े तीन साल बाद राज्य उपभोक्ता फोरम ने 21 दिसंबर को मामले में बड़ा फैसला दिया है. आयोग ने बैंक को डिफरेंस इन सर्विस एंड सिक्योरिटी का दोषी पाया है. इसके तहत 10-10 लाख डैमेज का और 50-50 हजार रुपए कंपनशेसन का देने का आदेश बैंक को दिया है.
भुगतान में अगर देरी हुई तो 9 फीसदी ब्याज भी बैंक को हर्जाने के साथ देना होगा. राज्य उपभोक्ता फोरम के इस फैसले से पीड़ितों ने राहत की सांस ली है.
बैंक डकैती में 32 परिवार हो गए थे तबाह
राज्य उभपोक्ता फोरम में जाने वाले सुशील कुमार शुक्ला ने बताया कि बैंक लॉकर डकैती के बाद 32 परिवार सड़क पर आ गए थे. उनका कई पीड़ियों का बैंक में रखा सोना लुट गया था.
इसमें 9 ऐसे परिवार थे, जिनके 25 से 40 लाख रुपए के जेवरात कानपुर के यशोदा नगर यूनिनयन बैंक में रखे थे. इसमें सुशील शुक्ला के साथ ही अखिलेश कुमार शिवहरे, अनुपम द्विवेदी, कांति बाजपेई, उमाकांत अवस्थी, नीरू सिंह, एकता शुक्ला, पीएन श्रीवास्तव और शैलेश पांडेय शामिल है.
इन सभी ने राज्य उपभोक्ता फोरम में मुआवजे की मांग को लेकर वाद दर्ज कराया था. बाकी का जिला उपभोक्ता फोरम में केस चल रहा है. यह सभी 9 पीड़ित भले ही राज्य उपभोक्ता फोरम के फैसले पर पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हैं, लेकिन राहत की सांस ली है. अब इसी फैसले को आधार बनाकर जिला उपभोक्ता फोरम में अन्य को मुआवजा मिलने की उम्मीद बढ़ गई हे.