ABC NEWS: ( भूपेंद्र तिवारी )कानपुर से महापौर सीट भाजपा और सपा के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है। भाजपा से महापौर पद के लिए प्रमिला पांडेय मैदान में हैं, जबकि सपा से विधायक अमिताभ बाजपेई की पत्नी वंदना बाजपेयी चुनावी रण में हैं. दोनों के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है. हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी आशनी अवस्थी भी चुनावी मैदान में अच्छी फाइट दे रही हैं.
कानपुर की जीत-हार का स्टेट में संदेश
भाजपा के नजरिए की बात करें तो वो इस निकाय चुनाव को आगामी लोकसभा का सेमीफाइनल मान रही है. कानपुर की महापौर सीट इसलिए भी बेहद अहम है कि क्योंकि इस सीट पर जीत-हार का अंतर प्रदेश की राजनीति में बड़ा मैसेज देता है.
सपा अगर कानपुर से महापौर चुनाव जीतती हैं, तो प्रदेश में एक बड़ा मैसेज जाएगा. साथ ही, पूर्व महापौर के कार्यकाल को भी बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी की है. चुनाव प्रचार में ही सपा ने भाजपा महापौर के बेटे बंटी को लेकर खूब स्टेटमेंट जारी किए.
बीते 1 हफ्ते में भाजपा ने झोंकी ताकत
कानपुर महापौर पद पर जीत हासिल करने के लिए बीते 1 हफ्ते में भाजपा के बड़े दिग्गज कानपुर में जुटे रहे. 3 मई को मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी, 4 मई को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, 5 व 6 मई को मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, 6 मई को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और 9 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसभा की.
अखिलेश, डिंपल ने किया रोड शो, शिवपाल ने की 4 जनसभाएं
महापौर पद पर जीत हासिल करने के लिए राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने बीते 10 दिनों में 4 जनसभाएं की. वहीं 8 मई को सांसद डिंपल यादव और 9 मई को अखिलेश यादव ने रोड शो कर सपा के पक्ष में वोट करने की अपील की.
कानपुर में सवर्ण ही है निर्णायक
कानपुर में वर्ष 1995 से लेकर 2017 तक के चुनाव में पांच महापौर बने हैं. सभी सवर्ण बिरादरी से रहे हैं। इन 22 वर्षों में सपा, बसपा, कांग्रेस की ओर से दूसरी जातियों के लोगों को प्रत्याशी के रूप में उतारा, लेकिन सफलता सवर्ण प्रत्याशी को ही मिली है. इस बार चुनावी मैदान में सपा, भाजपा और कांग्रेस तीनों ने ही सवर्ण बिरादरी से प्रत्याशी उतारे हैं.
विधानसभा अध्यक्ष ने लगाई प्रतिष्ठा
महापौर पद के लिए भाजपा से पहले सांसद सत्यदेव पचौरी के बेटी नीतू सिंह का नाम प्रमुखता से चल रहा था, लेकिन पार्टी सूत्रों के मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने अपना वीटो लगा पूर्व महापौर प्रमिला पांडेय को टिकट दिलाकर सभी को चौंका दिया.
विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए सतीश महाना लगातार बीते एक हफ्ते से फ्रंटफुट पर आकर राजनीतिक सभाओं, रोड शो और जनसभाएं कर रहे हैं. मंगलवार को हुई मुख्यमंत्री की जनसभा में भी सतीश महाना मौजूद रहे. सतीश महाना अपनी विधानसभा महाराजपुर में प्रमिला पांडेय को साथ लेकर करीब 6 से 7 रोड शो कर चुके हैं.
विधानसभावार वोट बैंक साधने की रणनीति
महापौर पद पर सभी प्रत्याशी भले ही पूरे शहर में घूम-घूमकर वोट मांग रहे हैं. लेकिन अंदरखाने सभी पार्टियां विधानसभावार अपना-अपना गढ़ मजबूत कर रही हैं. सपा ने सीसामऊ, आर्य नगर और कैंट सीट के मतदाताओं पर फोकस किया है. क्योंकि इन सीटों पर सपा का कब्जा है. वहीं गोविंद नगर, किदवई नगर, महाराजपुर, कल्याणपुर में भाजपा अपना वोट बैंक का किला मजबूत करने में जुटी है.
ब्राह्मण वोट बैंक का बंटवारा
कानपुर में 22.17 लाख वोटर हैं, जिसमें से 6 लाख से अधिक ब्राह्मण वोटर हैं. लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी की बात है कि इस बार ब्राह्मण वोटरों ने चुप्पी साध रखी है. यही चुप्पी बीजेपी की टेंशन बढ़ा रही है. ब्राह्मण वोटर बीजेपी का मतदाता माना जाता है. जानकारों का मानना है कि इस नगर-निगम चुनाव में ब्राह्मण वोट किसी एक पार्टी की तरफ जाता नहीं दिख रहा है. बल्कि तीनों प्रमुख पार्टियों में बंट सकता है। सभी पार्टियां ब्राह्मण वोटरों को लुभाने में जुटी हुई है.
एकतरफा जीत का दावा नहीं
यदि ब्राह्मण वोट बैंक में बंटवारा होता है, तो इसका सीधा नुकसान बीजेपी को होता दिख रहा है. वहीं, कानपुर के मुस्लिम वोट बैंक में कांग्रेस और सपा की नजर है. इसके साथ ही तीनों प्रमुख दल OBC और एससी वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटे हैं. जिसकी वजह से कानपुर का मुकाबला बड़ा ही दिलचस्प हो गया है, कोई भी पार्टी एक तरफा जीत का दावा नहीं कर रही है.