ABC News: किसान बाबू सिंह यादव की आत्महत्या मामले में फरार चल रहा एक लाख का इनामी डॉ. प्रियरंजन आशु दिवाकर आखिरकार अपनी मां के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुआ. करीब 24 घंटे के इंतजार के बाद परिजनों ने आशु दिवाकर की मां का अंतिम संस्कार कर दिया. इस दौरान श्मशान घाट से लेकर घर तक पुलिस का जाल बिछा रहा. अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार करने के बाद डॉ. प्रियरंजन आशु दिवाकर के पिता ने एक बार फिर कहा कि उन्हें सीएम योगी से न्याय की उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि राजनीतिक जीवन में आने के बाद उनके दुश्मन पैदा हो गए. उन्हें षणयंत्र के तहत फंसाया गया है. बाबू सिंह की जमीन उन्हीं के मिलने वाले सपा नेता नरेंद्र यादव ने हड़पी थी, उनकी बेटियों ने ही आशु से मदद की गुहार लगाई थी, जिसके बाद उन्होंने मदद की. पिता ने कहा कि आशू के तो हवन करते हुए हाथ जल गए. किसान बाबू सिंह यादव के सुसाइड नोट को फर्जी बताते हुए उन्होंने कहा कि इसमें तीन तरह से हस्ताक्षर किए गए थे, लेकिन इसकी फोरेंसिक जांच नहीं कराई गई. वहीं आशु दिवाकर के बेटे ने भी सीएम योगी ने न्याय की गुहार लगाते हुए पूरे मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए. आशु दिवाकर के बेटे ने कहा कि पूरे मामले में सबसे ज्यादा पुलिस की गलती है. पुलिस ने सुसाइड नोट की अभी तक फोरेंसिक जांच क्यों नहीं कराई, जबकि बाबू सिंह यादव ने एक बार मजिस्ट्रेट के सामने जो बयान दिए थे, उसमें बताया था कि वह केवल हस्ताक्षर कर पाते हैं और ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं.
आशू दिवाकर के बेटे ने कहा कि उनके पिता पूरी जांच में सहयोग करने को तैयार हैं बस एक बार सुसाइड नोट की जांच करा दी जाए. आशु दिवाकर के बेटे ने कहा कि सुसाइड नोट मेें तीन तरह की हैंड राइटिंग है. जबकि उनके पिता के नाम मृतक बाबू सिंह यादव की जमीन का एक टुकड़ा तक नहीं है. उनके पिता ने ही बाबू सिंह यादव का इलाज कराया था, जब वो बीमार पड़े थे. उन्होंने कहा कि उनके पिता बहुत बड़ी राजनैतिक साजिश में फंस गए हैं. वहीं, प्रियरंजन आशु दिवाकर के वकील सतनाम सिंह राजावत ने कहा कि कोर्ट के सामने पूरी बात रखी गई है. उन्होंने भी सुसाइड नोट को संदिग्ध बताया है. उन्होंने कहा कि अग्रिम जमानत के लिए अब वह लोग हाईकोर्ट का रूख करेंगे.
रिपोर्ट: सुनील तिवारी