Kanpur: अनिल शुक्ल वारसी का बड़ा आरोप-पार्टी सांसद सब कुछ करवा रहे, कही ऐसी-ऐसी बातें

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ABC News: ब्राम्हण महासभा के अध्यक्ष को चप्पल से पिटवाने और फिर महिलाओं में आग लगाने की टेंडेंसी जैसे बयान देकर विवादों में आए भाजपा नेता पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी की बयानबाजी थम नहीं रही है. उन्होंने अब अपने फेसबुक पर लाइव करते हुए फिर विवादित बयान देकर पार्टी को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है. उनका कहना है कि पार्टी के एक सांसद उनके खिलाफ साजिश कर रहे हैं. व्यक्तिगत लड़ाई को जाति और समाज से जोड़ा जा रहा है.

पूर्व सांसद अनिल शुक्ला ने कहा कि अब इन बदमाशों ने पूरे घटनाक्रम को मेरे ही पार्टी के एक सांसद के इशारे पर जाति व समाज से जोड़कर संपूर्ण ब्राह्मण समाज का अपमान बताया है. ब्राह्मण समाज को भ्रमित करने के लिए मेरे खिलाफ माहौल बनाने के लिए षड़यंत्र रचा. सांसद के लोग पूरे जोर-शोर से मेरे खिलाफ भ्रमित खबरें फैलाना शुरू कर दिया है. इसी तरह इस सांसद ने एक और खबर 2019 में वोटिंग समाप्त होने के बाद मेरे खिलाफ फैलाई थी. पर मेरे लोगों ने उस पर विश्वास नहीं किया. मुझे आशा है कि माननीय सांसद जी और उनकी खुराफाती टीम इसमें सफल नहीं होगी. चाहे वह जितनी भी कोशिश कर लें. उन्होंने यह भी कहा कि जो ब्राह्मण समाज बड़ौली कानपुर देहात कांड को लेकर उल्टी सीधी पोस्ट फेसबुक पर डाल रहे हैं. उनसे मैं अनिल शुक्ल वारसी सवाल करता हूं. एक स्वयंभू ब्राह्मण महासभा का अध्यक्ष बताने वाला व्यक्ति, जो कहता है कि मैं मीट, मछली, अंडा खाता हूं, शराब पीता हूं, फिर भी ब्राह्मण हूं. वह व्यक्ति मेरी पत्नी प्रतिभा शुक्ला जो इस वक्त सरकार में राज्य मंत्री और क्षेत्र में 15 साल से विधायक हैं.  एक लाख वोट पाकर चुनाव जीतती हैं. उनसे कहता है कि समाज के नाम पर कलंक हैं. मैं और मेरी पत्नी रात-दिन घर छोड़कर पब्लिक की सेवा में लगे हैं. कभी ऐसा काम नहीं किया कि समाज की बदनामी हो. अपनी ईमानदारी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि 2008 में कांग्रेस की सरकार बचाने के लिए मुझे 50 करोड़ का ऑफर दिया गया था. मैंने प्रस्ताव ठुकरा दिया और मैंने सारी बातें अपनी नेता मायावती को बताई थीं. मैं ब्राह्मण समाज के उन लोगों से पूछना चाहता हूं जो फेसबुक पर मेरे और मेरी पत्नी के बारे में उल्टी सीधी पोस्ट लिख रहे हैं. बताएं कि कलंक का मतलब क्या होता है. इसकी परिभाषा क्या है. ऐसा कौन सा काम हम लोगों ने कर दिया जो कलंक की श्रेणी में आता है. ये उनको बताना पड़ेगा. जहां तक स्वयंभू नेता से पोस्टमॉर्टम हाउस में झगड़े की बात है उसने तथा उसके साथियों ने मुझे और मेरी पत्नी को अपमानित करने का प्रयास किया और मेरे गिरेहबान में हाथ डाला. इसका विरोध वहां पर मौजूद कृष्णा गौतम समेत अन्य कार्यकर्ताओं ने किया. इस पर उन लोगों ने कृष्णा गौतम को जमीन पर गिरा दिया और बाल पकड़कर बाहर खींचने लगे. इसके बाद हम लोगों ने अपने बचाव में घटना के प्रतिक्रिया स्वरूप उन लोगों के विरुद्ध कार्रवाई थी. महिला किसी भी जाति की हो उसका अपमान नहीं होना चाहिए. फिर उसमें ब्राह्मण समाज कहां से आ गया. ये लोग जब ब्राह्मणों को भ्रमित नहीं कर पाए तो इसे सारे वकीलों का अपमान बता दिया. जबकि ये उनकी व्यक्तिगत लड़ाई है कृष्णा गौतम से.

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