मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की रिकॉल अर्जी को एक बार फिर खारिज कर दिया है. इस मामले में शाही ईदगाह पक्ष ने 16 अक्टूबर 2023 को दाखिल 18 वादों की एक साथ सुनवाई करने के 11 जनवरी 2024 के आदेश को वापस लेने की मांग की थी. रिकॉल अर्जी में कहा गया था कि सभी वादों में मांगी गई राहतें अलग-अलग हैं, इसलिए उन्हें एक साथ सुनना उचित नहीं है.
मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश को रद्द करने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर बहस पूरी होने के बाद माननीय न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. 23 अक्टूबर 2024 को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की रिकॉल अर्जी को खारिज कर दिया.
11 जनवरी 2024 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले से संबंधित 18 वादों को एक साथ सुनने का आदेश दिया था, जिसे मुस्लिम पक्ष ने चुनौती दी थी. वहीं, हिंदू पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई और कोर्ट के आदेश का समर्थन किया.
हाई कोर्ट के इस फैसले से श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद की सुनवाई एक साथ जारी रहेगी, और ट्रायल शुरू होने से पहले सभी पक्षों को अपनी बात रखने का अवसर दिया जाएगा.
16 अक्टूबर 2024 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में दोनों पक्षों ने कोर्ट में अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए. मुस्लिम पक्ष ने अदालत से यह दलील दी कि सभी 18 वादों में मांगी गई राहतें अलग-अलग और असमान हैं, इसलिए इन सभी वादों को एक साथ सुनना उचित नहीं होगा. उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि उनके रिकॉल आवेदन को स्वीकार किया जाए और 11 जनवरी 2024 को पारित आदेश को वापस लिया जाए.
दूसरी ओर, हिंदू पक्ष में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष आशुतोष पांडेय की ओर से लिखित में आपत्ति दाखिल की गई थी, जिसमें मुस्लिम पक्ष के रिकॉल आवेदन का विरोध किया गया था. अन्य हिंदू पक्षकारों ने मौखिक रूप से बहस करते हुए मुस्लिम पक्ष की रिकॉल अर्जी का विरोध किया.
इस सुनवाई के बाद, हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की रिकॉल अर्जी को खारिज कर दिया, जिससे 11 जनवरी 2024 के आदेश के अनुसार सभी 18 वादों की एक साथ सुनवाई जारी रहेगी.
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 11 जनवरी 2024 को दाखिल सभी 18 वादों को एक साथ सुनने का आदेश दिया था. इसके बाद 1 अगस्त 2024 को अदालत ने हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं को सुनवाई के लिए मंजूर किया और मस्जिद पक्ष की आपत्ति को खारिज कर दिया. हाई कोर्ट ने ट्रायल शुरू होने से पहले दोनों पक्षों को अपनी बात रखने का आदेश भी दिया था.
मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश को चुनौती देते हुए 11 जनवरी 2024 के आदेश को वापस लेने के लिए रिकॉल अर्जी दाखिल की, जिसमें उन्होंने 18 वादों को एक साथ सुनने के फैसले पर आपत्ति जताई थी. उनका तर्क था कि इन सभी वादों में अलग-अलग और असमान राहतें मांगी गई हैं, इसलिए उन्हें एक साथ सुनना उचित नहीं होगा.
इस पर आज, 23 अक्टूबर 2024 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की रिकॉल अर्जी को दोबारा खारिज कर दिया, जिससे 11 जनवरी 2024 के आदेश के अनुसार सभी 18 वादों की एक साथ सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है. अब इस मामले में ट्रायल की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी.