ABC NEWS: कोविड से ठीक हुए लोगों को अब गुलियन बेरी सिंड्रोम हो रहा है. कानपुर में हालात चिंताजनक बनी हुई है. शहर में कई मरीज कोविड से ठीक होने के बाद पोस्ट कोविड के चपेट में आए थे और अब वे गुलियन बेरी सिंड्रोम से ग्रसित हैं. हैलट अस्पताल समेत दो अन्य नर्सिंग होम में सात मरीजों की पुष्टि हुई है. सभी का इलाज चल रहा है.
ऐसे रोगियों का न्यूरो सिस्टम बिगड़ा मिला है इसलिए सभी को इम्युनोग्लोबुलिन चढ़ाने की सलाह डॉक्टरों ने दी है. एक लाख की थेरेपी में पांच दिन रोगी को इम्युनोग्लोबुलिन की हाई डोज देकर गुलियन बेरी सिंड्रोम का कारण बनने वाली एंटीबॉडी को अवरुद्ध किया जा रहा है. हैलट में पांच मरीज भर्ती हैं. प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या ने माना कि न्यूरोलॉजी में दो मरीज दो दिन में आए हैं. न्यूरोलॉजी हेड डॉ. आलोक वर्मा के मुताबिक जीबी सिंड्रोम को लेकर कोई खतरा नहीं है. कोरोना काल से पहले और बाद में मरीज आते रहे हैं.
गुलियन बेरी सिंड्रोम क्या है
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन प्रोफेसर डॉ. एसके गौतम ने बताया कि इस बीमारी में ऑटोइम्यून बीमारी परिधीय तंत्रिका तंत्र में स्वस्थ तंत्रिका कोशिकाओं पर हमला करती है. परिधीय तंत्रिका तंत्र की नसें मस्तिष्क को शरीर के बाकी हिस्सों से जोड़ती हैं और मांसपेशियों को संकेत भेजती हैं. इन नसों के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण मस्तिष्क से प्राप्त संकेतों का मांसपेशियां जवाब नहीं दे पाती हैं. इस स्थिति में लोगों को हाथ-पैर में झुनझुनी हो सकती है. गंभीर स्थिति में यह लकवा का कारण भी बन सकती है.
कैसे पहचानें
डॉ. गौतम के अनुसार जीबी सिंड्रोम में हाथ और पैर की उंगलियों में झुनझुनी या चुभन, पैरों में मांसपेशियों की कमजोरी जो समय के साथ बढ़ सकती है, चलने में कठिनाई, पीठ के निचले हिस्से में गंभीर दर्द, पेशाब पर नियंत्रण न रख पाना, हृदय गति तेज हो जाना.
क्यों होता है गुलियन बेरे सिड्रोम
मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ.जेएस कुशवाहा ने बताया कि गुलियन बेरी सिंड्रोम का सही कारण ज्ञात नहीं है. आमतौर पर श्वसन या पाचन तंत्र के संक्रमण के कुछ दिनों या हफ्तों के बाद इसके लक्षण देखे जा सकते हैं. कुछ लोगों में सर्जरी या टीकाकरण के बाद भी इस तरह की समस्या हो सकती है. जीका वायरस संक्रमण के बाद इसके कुछ मामले सामने आए थे. कोविड-19 संक्रमण के बाद भी इस तरह की समस्या हो सकती है.