योगिनी एकादशी पर बना गजकेसरी-बुधादित्य योग, भगवान विष्णु के खास स्वरूप की करें पूजा

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ABC NEWS: योगिनी एकादशी व्रत 14 जून दिन बुधवार को है. इस साल योगिनी एकादशी के दिन अत्यंत ही दो शुभ योग का निर्माण हो रहा है. योगिनी एकादशी को सूर्योदय के वक्त कुंडली में गजेकसरी और बुधादित्य राजयोग बन रहे हैं. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी का कहना है कि गजेकसरी और बुधादित्य राजयोग में व्रत और पूजा का संकल्प करना शुभ फलदायी होता है. इसमें व्रत का दोगुना पुण्य फल प्राप्त होता है. इतना ही नहीं, भगवान विष्णु की ​कृपा से घर में सुख, शांति, समृद्धि आती है और मोक्ष भी मिलता है. यह व्रत तीनों ही लोकों में फलदायी है. यदि आप किसी पाप से ग्रसित हैं तो उससे मुक्ति पाने के लिए योगिनी एकादशी श्रेष्ठ साधन है. आइए जानते हैं कि योगिनी एकादशी पर भगवान विष्णु के किस स्वरूप की पूजा करनी चाहिए? योगिनी एकादशी व्रत का नियम क्या है?

योगिनी एकादशी व्रत 2023 मुहूर्त
आषाढ़ कृष्ण एकादशी तिथि की शुरूआत: 13 जून, मंगलवार, सुबह 09:28 बजे से
आषाढ़ कृष्ण एकादशी तिथि की समाप्ति: 14 जून, बुधवार, सुबह 08:48 बजे पर
योगिनी एकादशी पूजा मुहूर्त: सुबह 05:23 बजे से सुबह 08:52 बजे, सुबह 10:37 बजे से दोपहर 12:21 बजे तक
योगिनी एकादशी व्रत का पारण समय: 15 जून, गुरुवार, सुबह 05:23 बजे से सुबह 08:10 बजे.

योगिनी एकादशी पर करें वामन देव की पूजा
स्कंद पुराण में बताया गया है कि आषाढ़ माह में भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करना उत्तम होता है क्योंकि वामन देव इस माह के अधिपति देव हैं. इस वजह से आषाढ़ के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन वामन अवतार की पूजा करनी चाहिए. आषाढ़ कृष्ण एकादशी ​तिथि को योगिनी एकादशी का व्रत रखते हैं. ऐसे में योगिनी एकादशी पर वामन अवतार की पूजा करके लाभ उठाएं.

आषाढ़ माह वामन अवतार की पूजा से 4 लाभ
वामन पुराण के अनुसार, जो भी व्यक्ति आषाढ़ माह में वामन अवतार की पूजा करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके अलावा संतानहीन दंपत्तियों को संतान सुख प्राप्त होता है. पाप और कष्ट से मुक्ति मिल जाती है.

योगिनी एकादशी व्रत के नियम
1. योगिनी एकादशी से एक दिन पूर्व यानि आषाढ़ कृष्ण दशमी तिथि को रात के समय में एकादशी व्रत और भगवान विष्णु के वामन अवमार की पूजा का संकल्प करें.

2. व्रत के समय अन्न का सेवन न करें. फलाहार कर सकते हैं. दशमी से लेकर एकादशी व्रत के पारण तक ब्रह्मचर्य का पालन करें.

3. अगले दिन योगिनी एकादशी पर सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु और लक्ष्मी नारायण स्वरूप का ध्यान करें. उसके बाद पंचामृत, तुलसी के पत्ते समेत अन्य पूजा सामग्री से पूजा-अर्चना करनी चाहिए.

4. पूजा के बाद गरीबों को अन्न, भोजन, वस्त्र, जल आदि का दान करें. इस माह में गर्मी बहुत होती है, इसलिए प्यासों को पानी जरूर पिलाएं.

5. रात में विष्णु मंदिर में घी का दीपक जलाएं. रा​त्रि जागरण करें. अगले दिन सूर्योदय बाद पूजा-पाठ करके पारण करना चाहिए.

प्रस्तुति: भूपेंद्र तिवारी

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