ABC News : हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले महान कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का निधन हो गया है. स्वामीनाथन को फादर ऑफ ग्रीन रिवॉल्यूशन भी कहा जाता है. उन्होंने चेन्नई में सुबह 11.20 बजे अंतिम सांस ली. स्वामीनाथ ने 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. उनका जन्म 7 अगस्त, 1925 को हुआ था. उनका पूरा नाम मनकोम्बु संबासिवन स्वामिनाथन था. कृषि के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा सन 1972 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.
धान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका
स्वामीनाथन ने देश में धान की फसल को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में बड़ा योगदान दिया था. इस पहल के चलते पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को काफी मदद मिली थी.
कई पुरस्कारों से किया गया सम्मानित
एम एस स्वामीनाथन की पहल के बाद हरित क्रांति के तहत देशभर के किसानों गेहूं और चावल के ज्यादा उपज वाले बीज लगाना शुरू किए. खेती में आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल होना शुरू हुआ. वैज्ञानिक विधियों से खेती होना शुरू हुई. इसी का नतीजा था कि दुनिया का सबसे ज्यादा खाद्यान्न की कमी वाला देश महज 25 सालों में इस कलंक से उबरकर आत्मनिर्भर बन गया. आज हम दूसरे देशों को गेहूं और चावल निर्यात करते हैं. इस क्रांति का श्रेय एम एस स्वामीनाथन को जाता है. उन्हें कृषि और विज्ञान के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए 1967 में ‘पद्म श्री, 1972 में ‘पद्म भूषण और 1989 में ‘पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
पीएम मोदी ने जताया शोक
स्वामीनाथन के निधन की खबर सुनते ही पीएम मोदी भी दुखी हुए. पीएम ने कहा कि उन्होंने हमेशा देश के लिए काम किया. पीएम ने कहा कि स्वामीनाथन ने कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व काम करते हुए हजारों लोगों की जिंदगी संवारी.