ABC NEWS: फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने और किसानों के कर्ज को माफ करने की मांग कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि उनकी मांगें नहीं जाने पर वह एक बार फिर से आन्दोलन तेज करेगा. मोर्चा की ओर से दिल्ली के रामलीला मैदान में सोमवार को बुलाई गई महापंचायत में किसान नेताओं ने एक बार फिर से आन्दोलन शुरू करने का संकल्प व्यक्त किया.
राकेश टिकैत ने इस दौरान कहा कि हमारे काफी लोगों को रास्ते में ही रोक दिया गया है. कहा कि हम लोग भी एक बार जंतर मंतर तक आएंगे. उस दौरान हम ट्रैक्टर लेकर नहीं आएंगे. जब आएंगे तो बड़ी क्रांति देश में होगी. उसका नाम होगा वैचारिक परिवर्तन क्रांति। विचार से परिवर्तन की क्रांति.
राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन करने में भी इनको आपत्ति है. इनकी जहां सरकार नहीं है वहां आंदोलन कर रहे हैं लेकिन हमारे आंदोलन को लाठी से रोक रहे हैं. अपनी बात कहने के लिए आंदोलन ही एक रास्ता है और इसका हमें अधिकार है. आंदोलन तो आंदोलन है. संविधान हमें इसका राइट देती है. यह लोग न तो संविधान को मानते हैं और न ही देश के कानून को मानते हैं. कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं. अपने आप को संत बताते हैं लेकिन इनके काम सब खतरनाक हैं.
महापंचायत को किसान नेता राकेश टिकैत के अलावा युद्धवीर सिंह, हन्नान मोल्लाह, दर्शन पाल आदि नेताओं ने सम्बोधित किया. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार यदि किसानों की मांग नहीं मानती है तो उसका परिणाम उसे चुनावों में भुगतना होगा. किसानों को लामबंद करने के लिए राज्यों में सम्मेलन और यात्रायें निकाली जायेंगी.
दोपहर बाद मोर्चे के 15 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल ने कृषि भवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की और न्यूनतम समर्थन मूल्य और कर्ज माफी जैसी मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधिमंडल में किसान नेता सुनीलम, युद्धवीर सिंह, हन्नान मोल्ला, दर्शन पाल, मंजीत राय आदि शामिल थे.
बैठक के दौरान किसान नेताओं ने कृषि मंत्री के साथ निरंतर सम्पर्क में रहने पर सहमति जताई. किसान नेताओं ने कहा कि किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार ने जो समिति गठित की है उसने भी अभी तक कुछ नहीं किया है.
उन्होंने कहा कि वे समझते थे कि सरकार कृषि को लेकर कोई नीति बनायेगी और किसानों की समृद्धि के लिए कुछ ठोस कदम उठाये जायेंगे, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी है. पंचायत में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा कई अन्य राज्यों से किसान आये थे.