सैफई ग्राउंड में अंतिम दर्शन को उमड़ी भीड़, श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों का तांता

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ABC NEWS: सपा संरक्षक एवं पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन पर सोमवार को दिन भर स्वजन खुद को संभाले रहे लेकिन रात में सबकी आंखों में आंसुओं का सैलाब उमड़ता रहा. बहू डिंपल यादव और भाई धर्मेंद्र यादव फूट-फूटकर रोते रहे. पैतृक ग्राम सैफई में पारिवारिक भूमि पर अंतिम संस्कार की तैयारी की गई है और अभी आवास से मेला ग्राउंड में अंतिम दर्शन के लिए लगे पंडाल में पार्थिव शरीर रथ से लाया गया. बड़ी संख्या में लोगों ने जब तक सूरज चांद रहेगा नेताजी का नाम रहेगा के नारे लगाए.

तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने भी सैफई पहुंचकर पूर्व मुख्यमंत्री के अंतिम दर्शन किए और श्रद्धासुमन अर्पित किए. महोत्सव पंडाल के मचं पर रखे नेताजी के पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए लोग कतारबद्ध् होकर पहुंच रहे हैं. दीवारों से लेकर छतों तक से लोग अंतिम दर्शन कर रहे हैं. यहां पहुंचे आजम खां ने भी मुलायम सिंह के अंतिम दर्शन किए हैं.

भारी भीड़ के बीच रथ सैफई पंडाल पहुंचा और यहां पर मंच पर पार्थिव शरीर को रखा गया है. मंच पर एक-एक करके लोग आकर नेताजी के दर्शन करके आगे बढ़ते जा रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री बेटे अखिलेश यादव, सपा के राष्ट्रीय महासचिव भाई प्रो. रामगोपाल यादव, शिवपाल यादव, पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव मौजूद हैं. यहां पर बड़ी संख्या में नेताओं के अलावा जनता की कतार लगी है.

पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर को उनके आवास से प्रात: 10 बजे सैफई महोत्सव पंडाल में ले जाया जाएगा. इसके लिए रथ तैयार किया गया है. उस रथ पर ही उन्हें ले जाया जाएगा. सैफई महोत्सव के मंच पर आम लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे. दोपहर तीन बजे ब्लाक परिसर के पास उनका अंतिम संस्कार होगा.

बारिश को देखते हुए वाटरप्रूफ पंडाल भी बनाए गए हैं, जहां रात से ही लोगों का आना जारी है. पार्किंग का इंतजाम जिला प्रशासन द्वारा सैफई के बाहर किया गया है. सैफई ग्राउंड के पास ही पारिवारिक भूमि पर दोपहर करीब तीन बजे अंतिम संस्कार होगा. अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने उनके आवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी. देर रात मुलायम के निकट सहयोगी आजम खान भी अपने पुत्र अब्दुल्ला खान के साथ श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे.

सैफई कोठी में प्रो. रामगोपाल हों या फिर शिवपाल सभी की आंखें नम थीं. रात से ही अंतिम दर्शन करने आने वाले लोगों की भीड़ जुटने लगी थी. गांव के लोग भी प्रो. रामगोपाल यादव, शिवपाल यादव, अखिलेश यादव, धर्मेंद्र यादव ने हाथ जोड़कर ढांढ़स बंधाते रहे.

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