ABC News : ( ट्विंकल यादव ) कोरोना वायरस पिछले तीन साल से अधिक समय से वैश्विक चिंता का कारण बना हुआ है. पिछले कुछ महीनों में नए संक्रमितों के मामलों में काफी सुधार देखा जा रहा था, हालांकि हालिया रिपोर्ट फिर से चिंता बढ़ाने वाली हो सकती है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी राज्यों में कोरोना के एक नए सब-वैरिएंट EU.1.1 के सामने आने की सूचना दी है. हाल में संक्रमण की पुष्टि वाले कई मरीजों में इस वैरिएंट को प्रमुख कारण माना गया है. दुनियाभर में अब तक कोरोना 69 करोड़ से अधिक लोगों को अपना शिकार बना चुका है. भले ही इन दिनों कोरोना संक्रमण की रफ्तार काफी नियंत्रित है पर वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे हल्के में लेने की गलती नहीं की जानी चाहिए, वायरस में लगातार म्यूटेशन हो रहा है जिससे नए वैरिएंट्स का खतरा बना हुआ है.
वायरस इंसानों तक कैसे पहुंचा?
कोरोना की शुरुआत से ही यह बड़ा सवाल रहा है कि वायरस इंसानों तक कैसे पहुंचा? इसको लेकर वैज्ञानिकों की एक थ्योरी कहती है कि चमगादड़ इसका स्रोत हो सकते हैं. हालांकि अब हालिया शोध ने इस चर्चा को नई दिशा दी है. वैज्ञानिकों ने पाया कि इस बार चमगादड़ नहीं, खतरा हिरण से हो सकता है. एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के कुछ स्टेट्स में ओमिक्रॉन के नए सब-वैरिएंट EU.1.1 के बारे में पता चला है जिसको लेकर शोध जारी है. वैश्विक स्तर पर बड़ी संख्या में हिरणों की आबादी संक्रमित देखी जा रही है, जिनसे न सिर्फ वायरस में म्यूटेशन का जोखिम है, साथ ही ये इंसानों में संक्रमण के जोखिमों को भी बढ़ाने वाली हो सकती है.
अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार, मनुष्यों के माध्यम से कम से कम 100 बार हिरणों में वायरस फैला है. नवंबर 2021 से अप्रैल 2022 के बीच अमेरिका के आधे हिस्से में 12,000 से अधिक हिरणों का परीक्षणों किया गया, जिससे पता चलता है कि हिरण लगभग हर वैरिएंट के संपर्क में थे. अब भी हिरणों में संक्रमण का जोखिम अधिक है जहां से नए वैरिएंट्स के उभरने का जोखिम बना हुआ है.
जानिए नए सब-वैरिएंट EU.1.1 के बारे में
अब तक के प्रारंभिक शोध में पाया गया है कि ये नया सब-वैरिएंट EU.1.1 मूल रूप से ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट XBB.1.5 का ही वंशज है, जो इस साल भारत सहित कई देशों में तेजी से बढ़े कोरोना के मामलों के लिए जिम्मेदार माना जा रहा था.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, यह कहना जल्दबाजी होगी कि क्या यह सब-वैरिएंट संक्रमित लोगों में नए लक्षण पैदा करेगा या फिर इसके लिए नए टीकों की जरूरत होगी? ज्यादातर लोगों का टीकाकरण हो चुका है, जिससे शरीर में मजबूत प्रतिरोधक क्षमता है, यह वैरिएंट ऐसे लोगों पर किस प्रकार से असर करता है ये देखने वाली बात होगी.