ABC News: ताइवान से तनाव के चलते चीन अब जापान पर भड़क गया है. टोक्यो स्थित चीनी दूतावास ने एक बयान जारी कर जापान को चेतावनी दी है कि वह ताइवान को लेकर अपनी ऐतिहासिक गलतियां न दोहराए. फिर से संकटमोचक के रूप में काम करने की कोशिश न करें और अपने हितों के लिए पड़ोसी देशों को नुकसान पहुंचाकर भू-राजनीतिक दलदल में न फंसे.
चीन जापान से इसलिए चिढ़ा है क्योंकि वह ताइवान का समर्थन करता है और उसने भी अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की मेजबानी की. जापान जी-7 समूह में भी शामिल है, यह समूह ताइवान का समर्थन कर चुका है और चीन के उकसावे पूर्ण सैन्य अभ्यास की अलोचना भी की थी. इसके चलते चीन ने जापान के साथ हाई लेवल द्विपक्षीय वार्ता भी रद्द कर दी थी. चीन जापान से इस कदर चिढ़ा है कि उसके युद्धाभ्यास के दौरान कुछ मिसाइलें जापान के इलाके में गिरी थीं, जिसके बाद जापान की भी सांसें फूलने लगी थीं. हालांकि, जापान के पीएम फुमियो किशिदा ने चीनी मिसाइल हमले की आलोचना करते हुए उस पर निगरानी बनाए रखने की बात कही थी. बता दें कि नैंसी पेलोसी ताइवान के बाद दक्षिण कोरिया और फिर वहां से जापान चली गई थीं. नैंसी पेलोसी का जापान के पीएम फुमियो किशिदा ने गर्मजोशी से स्वागत किया था. यही नहीं, जापान के धरती से एक बार फिर नैंसी पेलोसी ने चीन को ललकारा और यहां तक कहा कि अमेरिका उसे ताइवान को अलग-थलग करने की इजाजत नहीं देगा. इसके बाद पहले से तिलमिलाए चीन की खिसियाहट बढ़ गई और वह जापान पर भी हमलावर रुख दिखाने लगा है. वहीं, चीन के गुरुवार से रविवार तक ताइवान के आसापास आज तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास किया. पांच अगस्त की शाम उसके 68 फाइटर जेट ने ताइवान की हवाई हद भी लांघ दी थी. वहीं, ताइवान ने भी अपनी सेना, मिसाइल सिस्टम और समंदर में गश्ती जहाजों को सक्रिय कर दिया था और कहा था कि वह युद्ध नहीं चाहता लेकिन जरूरत पड़ी तो चीन को उचित जवाब देगा.