ABC News: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय देशभर के एम्स में केंद्रीय स्तर पर नियुक्तियां करने पर विचार कर रहा है. ये नियुक्तियां शैक्षिक और गैर शैक्षिक दोनों स्तरों पर होंगी. बता दें कि देश में नए खुले एम्स में कर्मचारियों की कमी एक बड़ी समस्या बनी हुई है. यही वजह है कि केंद्र सरकार खुद इन संस्थानों में नियुक्तियां करने की संभावनाओं पर विचार कर रही है. अभी एम्स संस्थान खुद अपने स्तर पर ही कर्मचारियों की नियुक्तियां करते हैं.
एम्स में केंद्र सरकार द्वारा कर्मचारियों की नियुक्ति की संभावनाओं पर विचार के लिए एक कमेटी बनाई गई है, जिसमें नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल, प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अतिरिक्त सचिव, स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी, नई दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक शामिल हैं. बता दें कि बीती आठ जनवरी को एम्स भुवनेश्वर में सेंट्रल इंस्टीट्यूट बॉडी (CIB) की बैठक हुई थी, जिसमें विभिन्न एम्स में फैकल्टी और अन्य कर्मचारियों की तेजी से नियुक्ति करने पर मंथन हुआ. इसी बैठक में एम्स संस्थानों में केंद्रीय स्तर पर कर्मचारियों की नियुक्ति करने पर विचार किया गया. 28 फरवरी को इस संबंध में एक कमेटी का गठन किया गया था. बता दें कि देश के 18 नए एम्स में करीब 44 प्रतिशत फैकल्टी पद खाली हैं. एम्स राजकोट में 183 पद मंजूर हैं लेकिन इनमें से महज 40 पद ही भरे जा सके हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते साल लोकसभा में यह जानकारी दी थी. एम्स राजकोट के साथ ही एम्स विजयपुर और एम्स गोरखपुर में भी फैकल्टी के कई पद खाली पड़े हैं. एम्स संस्थानों में मेडिकल छात्रों को पढ़ाने के लिए सरकार ने फैकल्टी की पर्याप्त सीटों को मंजूरी दी थी. साथ ही एक एम्स से दूसरे एम्स में फैकल्टी के ट्रांसफर की सुविधा भी दी गई थी. स्वास्थ्य मंत्रालय के डाटा के अनुसार, देश के 18 नए एम्स में 4026 पद मंजूर किए गए थे, जिनमें से 2259 पद ही भरे जा सके हैं. एम्स में नियुक्ति के लिए सरकार ने प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए उम्र सीमा भी 50 साल से बढ़ाकर 58 साल कर दी है. साथ ही सरकारी मेडिकल कॉलेज से भी फैकल्टी को डेप्युटेशन पर लेने की मंजूरी दी थी. साथ ही रिटायरमेंट की उम्र भी बढ़ाकर 70 साल कर दी गई है. विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों की भी एम्स में फैकल्टी पद पर नियुक्ति की छूट दी गई थी. हालांकि इतने प्रावधानों के बावजूद एम्स स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं.