ABC News: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अपने सबसे छोटे रॉकेट SSLV-D2 को श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च कर दिया है. ये लॉन्च शुक्रवार सुबह (9 फरवरी) 9.18 बजे हुआ. इसरो चीफ एस सोमनाथ ने लॉन्च के बाद सैटेलाइट को बनाने के साथ-साथ उन्हें सही कक्षा में स्थापित करने के लिए सभी 3 सैटेलाइट दलों को बधाई दी.इसरो चीफ ने कहा, ‘हमने एसएसएलवी-डी1 में आने वाली समस्याओं का विश्लेषण किया और फिर जरूरी सुधार किए. इस बार लॉन्च व्हीकल को सफल बनाने के लिए उन्हें बहुत तेज गति से लागू किया गया.’
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CONGRATULATIONS #ISRO!!
?? #ISROMissions ??#ISRO launches SSLV-D2/EOS-07 Mission from Satish Dhawan Space Centre (SDSC) SHAR, #Sriharikota.https://t.co/KRO7o5F1BF #SSLVD2/#EOS07 @isro pic.twitter.com/bwLCUCBiSY— Doordarshan National दूरदर्शन नेशनल (@DDNational) February 10, 2023
इससे पहले, इसरो ने बताया था कि नया रॉकेट अपनी 15 मिनट की उड़ान के दौरान तीन सैटेलाइट – इसरो के EOS-07, अमेरिका स्थित फर्म Antaris ‘Janus-1 और चेन्नई स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप SpaceKidz’s AzaadiSAT-2 को 450 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित करने का प्रयास करेगा. इसरो के अनुसार, एसएसएलवी ‘लॉन्च-ऑन-डिमांड’ के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 500 किलोग्राम तक के सैटेलाइट्स के प्रक्षेपण को पूरा करता है. SSLV एक 34 मीटर लंबा, 2 मीटर डायामीटर वाला व्हीकल है, जिसका वजन 120 टन है. रॉकेट को एक वेग टर्मिनल मॉड्यूल के साथ कॉन्फिगर किया गया है. EOS-07 एक 156.3 किलोग्राम की सैटेलाइट है जिसे इसरो ने ही डिजाइन और विकसित किया है. नए प्रयोगों में एमएम-वेव ह्यूमिडिटी साउंडर और स्पेक्ट्रम मॉनिटरिंग पेलोड शामिल हैं. जबकि, Janus-1, 10.2 किलोग्राम की अमेरिकन सैटेलाइट है. वहीं, AzaadiSAT-2 8.7 किलो की सैटेलाइट है, जिसे स्पेस किड्स इंडिया के 750 छात्रों ने भारत सरकार की मदद से तैयार किया है. SSLV की पहली टेस्ट फ्लाइट पिछले साल 9 अगस्त को विफल रही थी. इसरो के अनुसार, विफलता की जांच से यह पता चला कि दूसरे चरण के अलगाव के दौरान इक्विपमेंट बे (EB) डेक पर एक छोटी अवधि के लिए कंपन की गड़बड़ी थी. कंपन ने इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) को प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप फॉल्ट डिटेक्शन एंड आइसोलेशन सॉफ्टवेयर के सेंसर में गड़बड़ी हो गई.