ABC NEWS: UP की मैनपुरी लोकसभा सीट पर होने वाले उप-चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद डिंपल यादव को मैदान में उतारा है. बीजेपी की ओर से रघुराज शाक्य को उम्मीदवार बनाया गया है. सपा-भाजपा की आमने-सामने की लड़ाई में इस बार पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी पुरानी गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़ रहे हैं. अखिलेश अपनी उन गलतियों को मैनपुरी में नहीं दोहरा रहे हैं, जो उन्होंने आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उप-चुनाव में की थीं. मैनपुरी उप-चुनाव में अखिलेश पूरे परिवार के साथ डिंपल यादव को जीत दिलाने के लिए चुनावी मैदान में उतर गए हैं. एक के बाद एक विभिन्न इलाकों में जाकर लोगों से मुलाकात कर रहे हैं और डिंपल को वोट देने की अपील कर रहे.
आजमगढ़ और रामपुर से अखिलेश ने सीखा सबक
इस साल यूपी विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद अखिलेश यादव ने आजमगढ़ और आजम खान ने रामपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था. सपा के दोनों दिग्गज नेताओं ने आगामी सालों में प्रदेश की राजनीति में पूरा ध्यान लगाने के चलते सांसद पद से इस्तीफा दिया. इसके बाद दोनों जगह हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को तगड़ा झटका लगा और दोनों ही सीटों पर बीजेपी की जीत हुई. आजमगढ़ से बीजेपी कैंडिडेट दिनेश लाल ‘निरहुआ’ को जीत मिली. उन्होंने धर्मेंद्र यादव को हराकर सभी को हैरान कर दिया था. वहीं, रामपुर से बीजेपी कैंडिडेट घनश्याम सिंह लोधी ने सपा के मोहम्मद आसिम राजा को हरा दिया। इन दोनों सीटों पर हुए उपचुनाव में अखिलेश यादव ने खुद प्रचार नहीं किया और आजमगढ़ में धर्मेंद्र यादव के व रामपुर में आजम खान के भरोसे रहे, लेकिन दोनों ही जगह उन्हें झटका लगा.
दोनों जगह क्यों नहीं किया था चुनाव प्रचार?
अखिलेश यादव इस साल जून महीने में हुए आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में पूरी तरह से गायब रहे, जबकि बीजेपी ने दिग्गज नेताओं की झड़ी लगा दी और आखिरकार फैसला भी उनके ही हक में गया. दोनों जगह अखिलेश के प्रचार नहीं करने के पीछे कई वजह सामने आई थीं. पहला अखिलेश अतिआत्मविश्वास में थे कि दिग्गज नेताओं की सीट होने की वजह से उन्हें कोई भी हरा नहीं सकेगा. मालूम हो कि 2014 में आजमगढ़ से खुद मुलायम सिंह यादव और 2019 में अखिलेश यादव ने जीत दर्ज की थी. वहीं, रामपुर लंबे समय से आजम खान का गढ़ माना ही जाता रहा है. ऐसे में सपा अध्यक्ष को पूरा यकीन था कि उनके वहां नहीं जाने से भी पार्टी उम्मीदवारों को कोई नुकसान नहीं होने वाला है. वहीं, आजम खान और अखिलेश यादव के बीच उस दौरान कथित तौर पर बेहतर रिश्ते नहीं होने की वजह से भी एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लोकसभा उपचुनाव में प्रचार से दूरी बना ली थी. हालांकि, बाद में अखिलेश और आजम खान कई बार साथ दिखे और रिश्ते भी बेहतर होते हुए प्रतीत हुए.
सबक सीख मैनपुरी में जमीन पर उतरे अखिलेश
पिछले दोनों लोकसभा उपचुनाव से सबक लेते हुए अखिलेश यादव मैनपुरी उपचुनाव में जमीन पर उतरकर पत्नी डिंपल यादव के लिए वोट मांग रहे हैं. अखिलेश कई दिनों से मैनपुरी में ही डेरा जमाए हुए हैं और स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं से मुलाकात करके जीत सुनश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं. बीते दिन अखिलेश ने किशनी के एक स्कूल में बैठक में हिस्सा लिया और डिंपल यादव को जिताने की अपील की. इसके अलावा, भी अखिलेश ने कई अन्य इलाकों का दौरा करके डिंपल के लिए वोट मांगा. दरअसल, मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी सीट पर अखिलेश कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. इस सीट पर अखिलेश यादव की खुद की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. ऐसे में उन्होंने पिछले उपचुनावों से सीखते हुए खुद ही कमान संभाल ली है.