ABC News: कुख्यात माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के लाइव मर्डर केस में आखिरकार जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर गाज गिर ही गई. पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा ने पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित करते हुए इनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं. इसी के साथ उन्होंने अतीक और अशरफ की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार अन्य पुलिसकर्मियों की भूमिका जांचने को कहा है. पुलिस कमिश्नर ने यह कार्रवाई मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर की है.
इससे पहले एक एसीपी को हटा दिया गया था. वहीं अब इन पांचों पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है. एसआईटी ने अपनी प्राथमिक जांच रिपोर्ट पेश करते हुए शाहगंज कोतवाल समेत पांच पुलिसकर्मियों को दोषी माना है. प्रयागराज पुलिस से मिले इनपुट के मुताबिक घटना की रात ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया गया था. अगले दिन सुबह से एसआईटी ने अपनी जांच भी शुरू कर दी और संबंधित तथ्यों को सूचवद्ध करते हुए मंगलवार को शाहगंज कोतवाल समेत सभी पुलिसकर्मियों से पूछताछ की थी.इस दौरान संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा को सौंप दी थी. वहीं पुलिस कमिश्नर ने भी बिना देरी किए इस रिपोर्ट के आधार पर एसएचओ शाहगंज समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित करते हुए इन सभी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने विभागीय जांच की जिम्मेदारी डीसीपी रैंक के अधिकारी को दी है. दूसरी ओर, अतीक अहमद और अशरफ को प्रतापगढ़ की जेल से प्रयागराज लाने के बाद पुलिस ने बुधवार की सुबह अदालत में पेश किया.इसी के साथ पुलिस ने इन तीनों आरोपियों से आगे की पूछताछ के लिए सात दिन की रिमांड मांगी. पुलिस ने दलील दी कि इन आरोपियों से वारदात का मोटिव जानने के अलावा यह पता करना है कि इनके पास से तुर्की में बना पिस्टल कहां से आया. इन बदमाशों ने इतने महंगे पिस्टल को चलाने की ट्रेनिंग कहां ली. इसके अलावा इन आरोपियों से यह भी पता करना है कि इनके पीछे वारदात का मास्टरमाइंड कौन है. कोर्ट ने पुलिस की अर्जी और दलील को सुनने के बाद तीनों आरोपियों के लिए रिमांड मंजूर कर ली है.हालांकि कोर्ट ने कहा कि इस पूछताछ के लिए महज चार दिन का समय पर्याप्त है. इस अवधि में पुलिस निशानदेही भी करा सकती है और वारदात के संबंध में जरूरी पूछताछ भी कर सकती है. पुलिस अधिकारियों के के मुताबिक कोर्ट से आरोपियों का रिमांड मंजूर हो चुका है, लेकिन चूंकि अभी आर्डर की कॉपी बाहर नहीं आई है, इसलिए उसका इंतजार किया जा रहा है. आर्डर की कॉपी मिलते ही इन तीनों आरोपियों का मेडिकल कराया जाएगा. हालांकि इस बार पुलिस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. इसलिए आरोपियों को मेडिकल के लिए अस्पताल ले जाने के बजाय पुलिस लाइन में ही डॉक्टरों को बुलाकर मेडिकल परीक्षण कराया जाएगा.